इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा को हटाने को लेकर चल रही प्रक्रिया पर केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि महाभियोग प्रस्ताव लाना पूरी तरह से सांसदों का विशेषाधिकार है, इसमें केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है।
सांसदों का विषय, सरकार की भूमिका नहीं: मेघवाल
कानून मंत्री ने कहा, “यह पूरी तरह से सांसदों का विषय है। उन्होंने कुछ प्रयास किए हैं। सरकार इसमें शामिल नहीं है।” उन्होंने यह भी जानकारी दी कि न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजय खन्ना द्वारा गठित आंतरिक समिति अपनी रिपोर्ट पहले ही सौंप चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचे जस्टिस वर्मा
इस बीच, जस्टिस यशवंत वर्मा ने आंतरिक समिति की रिपोर्ट को अमान्य ठहराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने 8 मई को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश द्वारा की गई हटाने की सिफारिश को रद्द करने की मांग की है।
संसद में प्रस्ताव की तैयारी, कांग्रेस का भी समर्थन
21 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में संसद में न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी चल रही है। इस प्रस्ताव को पारित कराने के लिए लोकसभा में कम से कम 100 और राज्यसभा में 50 सांसदों का समर्थन आवश्यक होता है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि उनकी पार्टी के सांसद भी इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करेंगे, जिससे संकेत मिलता है कि विपक्ष का भी इस मुद्दे पर समर्थन मिल सकता है।
जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। एक ओर जहां सांसदों द्वारा प्रस्ताव लाने की तैयारी की जा रही है, वहीं दूसरी ओर न्यायमूर्ति वर्मा न्यायिक रास्ता अपनाकर अपनी बात रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण में जा चुके हैं। संसद का मानसून सत्र इस पूरे मामले में अहम भूमिका निभा सकता है।





