ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में चल रहे मतदाता सूची के “विशेष गहन पुनरीक्षण” (Special Intensive Revision- SRI) पर गंभीर आपत्ति जताई है। उन्होंने भारत निर्वाचन आयोग को एक पत्र भेजते हुए इस प्रक्रिया को लेकर कई अहम सवाल उठाए हैं और मांग की है कि आयोग उनके द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर स्पष्ट और विस्तृत जवाब दे। ओवैसी ने आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया अव्यवस्थित, अवैज्ञानिक और नागरिक अधिकारों को प्रभावित करने वाली है। उन्होंने कहा, हमारा अनुरोध है कि चुनाव आयोग हमारे लिखित प्रतिवेदन में उठाए गए सभी सवालों का जवाब दे।
ओवैसी ने उठाए ये 6 मुख्य सवाल:
1- 2024 के लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची में क्या अवैध विदेशी प्रवासी शामिल थे?
2- जब बिहार में 29 अक्टूबर 2024 से 6 जनवरी 2025 के बीच विशेष सारांश पुनरीक्षण हुआ, तो एसआरआई की आवश्यकता क्यों पड़ी?
3- पिछली बार एसआरआई तब हुआ था जब चुनावों में समय था। इस बार सिर्फ एक महीने में पूरी प्रक्रिया पूरी करने की मांग क्यों की जा रही है? बीएलओ को प्रशिक्षण तक नहीं मिला है।
4- बीएलओ को असीमित अधिकार देने से मतदाताओं के अधिकारों और आजीविका दोनों पर खतरा उत्पन्न हो सकता है।
5- 1987 से पहले जन्मे नागरिकों को जन्म तिथि प्रमाणित करने के लिए दस्तावेज दिखाने होंगे। 1987 से 2004 के बीच जन्मे नागरिकों से जन्म प्रमाणपत्र या उनके माता-पिता के दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। 11 दस्तावेजों की सूची कैसे निर्धारित की गई?
6- सीमांचल जैसे बाढ़-प्रभावित क्षेत्रों में हजारों लोग अपने घर और दस्तावेज हर साल खो देते हैं। वहां के लोगों के पास आवश्यक दस्तावेज होने की क्या गारंटी है?