Sunday, April 27, 2025

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हाईकोर्ट जज के घर पर नकदी मिलने के मामले में एफआईआर की मांग

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के सरकारी घर से कथित तौर पर आधी जली हुई नकदी मिलने के मामले में लगी याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। याचिका में मामले में दिल्ली पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ से वकील मैथ्यूज जे नेदुम्परा ने आग्रह किया कि याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए, क्योंकि यह व्यापक जनहित से संबंधित है। इस पर सीजेआई ने कहा कि याचिका पर सुनवाई होगी। वकील ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने सराहनीय काम किया है, लेकिन एफआईआर की जरूरत है। इस पर सीजेआई ने कहा, ‘सार्वजनिक बयान न दें।’मामले में एक महिला और सह-याचिकाकर्ता ने कहा कि अगर ऐसा मामला किसी आम नागरिक के खिलाफ होता तो सीबीआई और ईडी जैसी कई जांच एजेंसियां उसके पीछे लग जातीं। सीजेआई ने कहा, ‘यह काफी है। याचिका पर उसी के अनुसार सुनवाई होगी।’ नेदुम्परा और तीन अन्य लोगों ने रविवार को एक याचिका दायर कर पुलिस को मामले में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की है।याचिका में के. वीरास्वामी मामले में 1991 के फैसले को भी चुनौती दी गई है, जिसमें शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया था कि भारत के मुख्य न्यायाधीश की पूर्व अनुमति के बिना उच्च न्यायालय या शीर्ष अदालत के किसी न्यायाधीश के खिलाफ कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती।कथित नकदी की बरामदगी 14 मार्च को रात करीब 11.35 बजे जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में आग लगने के बाद हुई। मौके पर अग्निशमन अधिकारी पहुंचे थे। विवाद के मद्देनजर सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति वर्मा को उनके पैतृक इलाहाबाद उच्च न्यायालय वापस भेजने की सिफारिश की। 22 मार्च को सीजेआई ने आरोपों की आंतरिक जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया और घटना में दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय की जांच रिपोर्ट अपलोड करने का फैसला किया। इसमें कथित तौर पर भारी मात्रा में नकदी मिलने की तस्वीरें और वीडियो शामिल थे। हालांकि, न्यायमूर्ति वर्मा ने आरोपों को खारिज किया और कहा कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा स्टोररूम में कभी भी कोई नकदी नहीं रखी गई। इस बीच मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त इन-हाउस कमेटी के तीन सदस्यों ने आरोपों की जांच शुरू करने के लिए न्यायमूर्ति वर्मा के आवास का दौरा किया था।

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