महाराष्ट्र के पुणे और उसके आस-पास के इलाकों में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के बढ़ते ममले राज्य सरकार के लिए चिंता का विषय है। इसी बीच शरद पवार गुट की एनसीपी नेता और सांसद सुप्रिया सुले ने जीबीएस के बढ़ते मामले के लिए पुणे नगर निगम की विफलता पर जोर देते हुए प्रशासन की आलोचना की। बता दें कि जीबीएस एक दुर्लभ बीमारी के तौर पर सामने आई है, जो अचानक सुन्नता, मांसपेशियों की कमजोरी और अंगों में गंभीर कमजोरी जैसी समस्याएं पैदा करती है। उन्होंने कहा कि शहर में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के बढ़ते मामलों के लिए शहरी नियोजन की विफलता और बढ़ते प्रदूषण जिम्मेदार है। साथ ही सुले ने जीबीएस को एक दुर्लभ बीमारी बताते हुए इसके फैलने के पीछे वैज्ञानिक कारणों का पता लगाने की आवश्यकता पर जोर दिया। बता दें कि बुधवार तक राज्य में 127 संदिग्ध जीबीएस के मरीज पाए गए हैं। वहीं पुणे में एक 56 वर्षीय महिला और सोलापुर में एक 40 वर्षीय व्यक्ति की जीबीएस से मौत भी हो गई है। लोकसभा सदस्य सुले ने महाराष्ट्र सरकार से जीबीएस के मरीजों का सारा चिकित्सा खर्च सरकार देने की मांग की। उन्होंने यह भी कहा कि निराधार प्रबंधन के कारण यह बीमारी फैल रही है। सुप्रिया सुले ने आगे कहा कि इस समस्या को लेकर वे पुणे नगर निगम और राज्य सरकार को पत्र लिखेंगी। उन्होंने कहा कि जीबीएस का फैलाव शहरी नियोजन की विफलता का परिणाम है और प्रदूषण के कारण बीमारियों में वृद्धि हो रही है, इसलिए तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है। साथ ही सुले ने नगर निगम द्वारा बुनियादी ढांचे की कमी के बावजूद नई इमारतों और परियोजनाओं को मंजूरी दिए जाने की भी आलोचना की।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के पुणे जिले में बारामती का प्रतिनिधित्व करने वाली सांसद सुले पुणे के सिंहगढ़ रोड क्षेत्र के नांदेड़ गांव स्थित एक कुएं का दौरा करने गईं, जहां से दूषित पानी की आपूर्ति होने का संदेह जताया जा रहा है। साथ ही इसी दूषित जल को जीबीएस के मामलों में वृद्धि का कारण भी बताया जा रहा है।