Monday, June 16, 2025

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उत्तराखंड के लिए विशेष दर्जे और आर्थिक पैकेज की मांग – कांग्रेस ने 16वें वित्त आयोग के सामने रखी अहम बातें

उत्तराखंड को ‘विशेष राज्य’ का दर्जा मिले और उसके अनुरूप एक ठोस आर्थिक पैकेज भी—यही मुख्य मांग रही कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल की, जब उन्होंने 16वें वित्त आयोग के साथ हुई अहम बैठक में राज्य की जरूरतों और चुनौतियों को जोर-शोर से रखा।
प्रदेश कांग्रेस की ओर से यह पक्ष संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने रखा, जिन्होंने आयोग को एक विस्तृत सुझाव-पत्र सौंपा। उन्होंने बताया कि भले ही उत्तराखंड दो दशक से अधिक का सफर तय कर चुका है और आज राज्य का बजट उसके शुरुआती दिनों की तुलना में 24 गुना बढ़ चुका हो, लेकिन वास्तविक विकास में कई अड़चनें अब भी बनी हुई हैं—जिनमें सबसे गंभीर है तेजी से होता पलायन।

धस्माना ने बताया कि राज्य का 67% हिस्सा वनों से ढका है, और केवल 33% ज़मीन खेती लायक है—वो भी अधिकतर असिंचित। नेशनल पार्क, अभयारण्य और संरक्षित वन क्षेत्रों की अधिकता के कारण राज्य में बुनियादी विकास कार्य सीमित दायरे में रह जाते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों के लिए अलग “कॉस्ट सेंसिटिविटी इंडेक्स” यानी लागत संवेदनशीलता सूचकांक तैयार किया जाना चाहिए, ताकि बजटीय आवंटन व्यवहारिक जरूरतों के मुताबिक हो।
कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने स्थानीय निकायों को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि पहाड़ी इलाकों में जनसंख्या घनत्व कम होने के कारण ग्राम पंचायतों से लेकर नगरपालिकाओं तक, मौजूदा जनसंख्या मानदंड लागू नहीं किए जा सकते। इन क्षेत्रों को मानदंडों में विशेष छूट दी जानी चाहिए।

बैठक में प्रदेश प्रवक्ता गिरिराज किशोर हिंदवान भी मौजूद रहे। प्रतिनिधिमंडल ने विशेष रूप से “पलायन रोधी विकास योजना” लागू करने की सिफारिश की, ताकि लोग अपने गांवों में ही सम्मानजनक जीवन और आजीविका के अवसर पा सकें।
इस बैठक ने एक बार फिर रेखांकित किया कि उत्तराखंड को आर्थिक रूप से आगे ले जाने के लिए उसके भौगोलिक और सामाजिक विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए नीति बनाना समय की मांग है।

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