Sunday, June 29, 2025

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उत्तराखंड की स्थानीय भाषाओं को मिलेगा बढ़ावा, स्कूलों में हर हफ्ते भाषण-निबंध प्रतियोगिताएं

उत्तराखंड की क्षेत्रीय बोलियों और लोक साहित्य को सहेजने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। अब प्रदेश के स्कूलों में हर सप्ताह एक दिन स्थानीय बोली में भाषण और निबंध प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। यह निर्णय उत्तराखंड भाषा संस्थान की सचिवालय में आयोजित साधारण सभा और प्रबंध कार्यकारिणी समिति की बैठक में लिया गया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की लोक भाषाओं, लोकगीतों, लोक कथाओं और साहित्य को डिजिटल रूप में संरक्षित किया जाएगा। इसके लिए एक ई-लाइब्रेरी की स्थापना की जाएगी और लोक कथाओं पर ऑडियो-विजुअल संकलन भी तैयार किए जाएंगे।

साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड साहित्य भूषण पुरस्कार की राशि को पाँच लाख से बढ़ाकर पाँच लाख 51 हजार रुपये कर दिया गया है। इसके साथ ही राज्य सरकार दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान भी शुरू करने जा रही है, जिसकी पुरस्कार राशि पाँच लाख रुपये होगी।

प्रदेश में जल्द ही युवा कलमकार प्रतियोगिता’ आयोजित की जाएगी, जिसमें 18 से 35 वर्ष तक के युवाओं को दो आयु वर्गों में विभाजित कर रचनात्मक लेखन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके अलावा, सचल पुस्तकालयों की व्यवस्था और प्रमुख प्रकाशकों के सहयोग से साहित्यिक सामग्री की उपलब्धता को भी सुनिश्चित किया जाएगा।

राज्य की भाषाई विविधता को संजोने के लिए एक भाषाई मानचित्र’ तैयार किया जाएगा और बच्चों में स्थानीय भाषाओं की रुचि बढ़ाने के लिए लघु वीडियो कंटेंट बनाए जाएंगे। साथ ही, जौनसार-बावर क्षेत्र की पौराणिक बाकणा’ परंपरा का अभिलेखीकरण भी किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने राज्यवासियों से बुके के स्थान पर बुक भेंट करने की परंपरा को बढ़ावा देने की भी अपील की। उन्होंने यह भी घोषणा की कि राज्य में दो साहित्य ग्राम’ बनाए जाएंगे, जहां प्रकृति की गोद में साहित्यकार लेखन, संवाद और गोष्ठियों का आयोजन कर सकेंगे।

बैठक में भाषा मंत्री सुबोध उनियाल, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, सचिव वी.षणमुगम, निदेशक स्वाति भदौरिया, और विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति तथा अधिकारी उपस्थित रहे।

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