Saturday, November 15, 2025

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FTA से एमएसएमई को मिलेगा नया बल, भारत में खुलेंगे ब्रिटेन के नौ विश्वविद्यालयों के कैंपस: मोदी

नई दिल्ली।
भारत और ब्रिटेन के बीच आर्थिक साझेदारी को नई ऊंचाई पर ले जाने के संकल्प के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को ‘इंडिया-यूके सीईओ फोरम’ को संबोधित किया। उन्होंने घोषणा की कि ब्रिटेन के नौ शीर्ष विश्वविद्यालय जल्द ही भारत में अपने कैंपस खोलेंगे, जिससे शिक्षा और नवाचार के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग का नया युग शुरू होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रस्तावित भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (FTA) न केवल सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को मजबूती देगा, बल्कि लाखों युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा।

“2030 से पहले दोगुना होगा भारत-ब्रिटेन व्यापार”
प्रधानमंत्री मोदी ने भरोसा जताया कि दोनों देशों के बीच मौजूदा 56 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार 2030 से पहले दोगुना हो जाएगा। उन्होंने कहा,
“यह वर्ष वैश्विक अस्थिरता के बावजूद भारत-ब्रिटेन संबंधों में स्थिरता और विश्वास का रहा है। जुलाई में लंदन यात्रा के दौरान हमने व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (CETA) पर हस्ताक्षर किए, जो केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि साझा प्रगति और समृद्धि का रोडमैप है।”
मोदी ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की सराहना करते हुए कहा कि दोनों देशों की सरकारें विजन 2035 के तहत दीर्घकालिक सहयोग को नई दिशा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

सीईटीए के चार नए आयाम पेश किए
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच हुए व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (CETA) को और प्रभावी बनाने के लिए उन्होंने चार नए आयाम जोड़े हैं। उन्होंने समझाया—
• ‘C’ का अर्थ है कॉमर्स एंड इकोनॉमी (वाणिज्य और अर्थव्यवस्था)
• ‘E’ का अर्थ है एजुकेशन एंड पीपल कनेक्ट (शिक्षा और लोगों का संपर्क)
• ‘T’ का अर्थ है टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन (प्रौद्योगिकी और नवाचार)
• ‘A’ का अर्थ है एस्पिरेशन (आकांक्षा)
उन्होंने कहा कि यह समझौता दोनों देशों के लिए नई आर्थिक संभावनाओं और रोजगार के अवसरों का द्वार खोलेगा।

भारत में खुलेंगे ब्रिटेन के नौ विश्वविद्यालयों के कैंपस
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,
“भारत की नीति में आज स्थिरता है, नियमों में पारदर्शिता है और बाजार में भारी मांग मौजूद है। ऐसे में शिक्षा और उद्योग के बीच साझेदारी हमारी नवाचार आधारित अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी ताकत बनेगी। मुझे खुशी है कि ब्रिटेन के नौ विश्वविद्यालय भारत में अपने कैंपस स्थापित करने जा रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि यह कदम भारत के युवाओं को वैश्विक शिक्षा और अनुसंधान के अवसर प्रदान करेगा तथा शिक्षा क्षेत्र में ज्ञान और तकनीक का सेतु बनेगा।

रणनीतिक क्षेत्रों में सहयोग पर जोर
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और ब्रिटेन को महत्वपूर्ण खनिजों, दुर्लभ धातुओं और दवाइयों (API) जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करना चाहिए। इससे न केवल व्यापारिक संबंध गहरे होंगे बल्कि दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भविष्य के अनुरूप दिशा मिलेगी।
उन्होंने कहा कि आज टेलीकॉम, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बायोटेक, क्वांटम कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टर, साइबर सुरक्षा और अंतरिक्ष अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच असीम संभावनाएं मौजूद हैं।
“हम रक्षा क्षेत्र में भी संयुक्त डिजाइन और निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। अब समय आ गया है कि हम इन संभावनाओं को ठोस उपलब्धियों में बदलें।”

फिनटेक और डिजिटल सहयोग पर भी बात
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की डिजिटल उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा,
“आज दुनिया के लगभग 50 प्रतिशत रियल-टाइम डिजिटल लेनदेन भारत में होते हैं। वित्तीय सेवाओं में ब्रिटेन के अनुभव और भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) का संयोजन पूरी मानवता के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है।”
उन्होंने कहा कि भारत की प्रतिभा और ब्रिटेन की तकनीकी विशेषज्ञता का संगम वैश्विक अर्थव्यवस्था को नई दिशा दे सकता है।

‘विजन 2035’ से तय होगी नई दिशा
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि प्रधानमंत्री स्टार्मर और उन्होंने मिलकर ‘विजन 2035’ की घोषणा की है, जो दोनों देशों के साझा लक्ष्यों और प्राथमिकताओं का खाका है।
“भारत और ब्रिटेन जैसे खुले लोकतांत्रिक समाजों के बीच ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जहां सहयोग का विस्तार न किया जा सके। यह साझेदारी आने वाले दशक में वैश्विक विकास की प्रेरक शक्ति बनेगी।”
‘इंडिया-यूके सीईओ फोरम’ में प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन ने स्पष्ट किया कि भारत-ब्रिटेन संबंध अब सिर्फ कूटनीतिक नहीं, बल्कि रणनीतिक, तकनीकी और शैक्षणिक साझेदारी के नए युग में प्रवेश कर चुके हैं।
एफटीए, ब्रिटिश विश्वविद्यालयों के भारतीय कैंपस और ‘विजन 2035’ के साथ दोनों देश एक ऐसे भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं, जहां व्यापार, शिक्षा और नवाचार साझा विकास की आधारशिला बनेंगे।

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