Saturday, June 28, 2025

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आपातकाल के 50 साल: RSS ने उठाई ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द हटाने की मांग

आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने एक बार फिर तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार की आलोचना करते हुए संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने की मांग उठाई है।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में RSS सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि इन शब्दों को आपातकाल के दौरान असंवैधानिक ढंग से प्रस्तावना में जोड़ा गया था। उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा तैयार मूल संविधान में ये शब्द नहीं थे और इन्हें जब देश में लोकतांत्रिक संस्थाएं कमजोर थीं, उस समय थोपा गया।

होसबाले ने सवाल उठाया कि जब इन शब्दों को जोड़े जाने पर कभी संसद या देशव्यापी बहस नहीं हुई, तो क्या ये शब्द अब स्थायी रूप से संविधान में रहने चाहिए? उन्होंने इस पर सार्वजनिक चर्चा और पुनर्विचार की मांग की।

उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, “जो लोग आज संविधान की प्रति लेकर घूम रहे हैं, उन्होंने आपातकाल के लिए जनता से माफी नहीं मांगी है। उन्हें और उनकी पार्टी को देश से माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि आपातकाल के दौरान 1 लाख से अधिक लोगों को जेल भेजा गया, 250 पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया और 60 लाख लोगों को जबरन नसबंदी का सामना करना पड़ा।”

सरकार्यवाह ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि आपातकाल के कारणों, उसके प्रभावों और भविष्य की लोकतांत्रिक रक्षा के उपायों पर ठोस चर्चा हो। उन्होंने 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान लोकतंत्र के 50 वर्ष पूरे होने पर हुए व्यापक विमर्श का उल्लेख किया, जिसमें शिक्षा, प्रशासन, न्यायपालिका और चुनाव सुधार जैसे विषयों पर चर्चा की गई थी।

कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जो लोग आज संविधान को बचाने की बात कर रहे हैं, वे भूल जाते हैं कि इंदिरा गांधी की सरकार ने आपातकाल में सबसे अधिक संविधान का दुरुपयोग किया था

संघ की यह मांग एक बार फिर राजनीतिक और वैचारिक बहस को हवा दे सकती है, खासकर ऐसे समय में जब संविधान, लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चाएं तेज हैं।

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