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हिमालयी क्षेत्रों में एक अक्तूबर से शुरू होगी जातीय जनगणना, दो चरणों में होगा कार्य

उत्तराखंड समेत हिमालयी बर्फबारी वाले क्षेत्रों में आगामी जाति...

आरटीओ ऑफिस के पास ददर्नाक हादसा

तड़के बुधवार ऋषिकेश स्थित आरटीओ ऑफिस के पास एक...

देवभूमि

कुमाऊं : कैसे हुआ नामकरण

इस प्रान्त का नाम कुर्मांचल या कुमाऊं होने के...

रामगंगा नदी घाटी में दबा है ऐतिहासिक शहर! फिर दुनिया के सामने लाने को ASI ने कसी कमर

अल्मोड़ा. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने उत्तराखंड के अल्मोड़ा...

नंदा देवी जात यात्रा – देवभूमि की अमृत धारा

नंदा देवी जात यात्रा – देवभूमि की अमृत धारा यात्रा...

व्यक्तितव

वीर सिपाही शहीद केसरी चंद

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सुमित्रानंदन पंत

अमिताभ बच्चन को उनका नाम दिया था कवि सुमित्रानंदन...

Bachendri Pal

Bachendri Pal, (born May 24, 1954, Nakuri, India), Indian...

The World of Raghu Rai: His Photography & Life

It was a picture of a donkey that started...

ताना-बाना

उत्तराखंड में हुए एक सीक्रेट मिशन का खतरा आज भी बरकरार

बात 1965 की है,  जब वियतनाम युद्ध तेज हो रहा...

पनीर ने रोका पलायन : रौतू कीबेली गाँव

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बसे गाँवों में रोज़गार...

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Wednesday, July 30, 2025

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मार्शल लॉ लागू करने के लिए राष्ट्रपति यून सुक योल को पद से हटाया गया

दक्षिण कोरिया की संवैधानिक अदालत ने महाभियोग का सामना कर रहे राष्ट्रपति यून सुक योल को पद से हटाने का आदेश दिया है। यून सुक योल पर देश में मार्शल लॉ लागू करने और संसद में सेना भेजने का आरोप है। इसके चलते दक्षिण कोरिया में राजनीतिक उथल-पुथल मच गई थी। मार्शल लॉ लागू करने के चार महीने बाद शुक्रवार को संवैधानिक अदालत ने राष्ट्रपति को पद से हटाने का आदेश दिया।  विपक्ष द्वारा नियंत्रित नेशनल असेंबली ने राष्ट्रपति यून सुक योल के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई की थी। अब उसके तीन महीने बाद संवैधानिक अदालत ने सर्वसम्मति से राष्ट्रपति को पद से हटाने का फैसला दिया है। अब दक्षिण कोरिया को दो महीने के भीतर नए राष्ट्रपति को चुनना होगा और राष्ट्रीय चुनाव कराने होंगे। विभिन्न सर्वेक्षणों से पता चला है कि विपक्षी पार्टी डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता ली जे म्यांग, देश का अगला राष्ट्रपति बनने की रेस में सबसे आगे हैं। जब संवैधानिक अदालत ने यून सुक योल को राष्ट्रपति पद से हटाने का फैसला सुनाया तो उस वक्त राजधानी सियोल में यून सुक योल के खिलाफ एक रैली आयोजित हो रही थी। जैसे ही अदालत ने यून सुक योल को पद से हटाने का फैसला सुनाया तो रैली में लोग खुशी से झूम उठे और नाचने लगे।  हालांकि बड़ी संख्या में लोग यून सुक योल का समर्थन भी कर रहे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में योल के समर्थन में रैलियां भी बढ़ सकती हैं। इससे देश में विभाजन बढ़ सकता है। राष्ट्रपति यून सुक योल ने बीते साल 3 दिसंबर को देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया था और सैंकड़ों सैनिकों और पुलिस अधिकारियों को नेशनल असेंबली भेज दिया था। यून सुक योल ने तर्क दिया कि उन्होंने सिर्फ सदन में व्यवस्था बनाए रखने के लिए ऐसा किया था, लेकिन जांच के दौरान सैन्य अधिकारियों ने बताया कि यून ने उन्हें विपक्षी सांसदों को सदन से बाहर निकालने का आदेश दिया था ताकि वे यून के आदेश के खिलाफ मतदान न कर सकें। हालांकि विपक्षी सांसद किसी तरह सफल रहे और उन्होंने योल के आदेश के खिलाफ मतदान कर उसे रद्द करा दिया।

 

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