भारत की जीवविज्ञानी और वन्यजीव संरक्षणकर्ता पूर्णिमा देवी बर्मन को टाइम मैगजीन की ‘वुमन ऑफ द ईयर 2025’ सूची में शामिल किया गया है। यह सूची दुनिया की उन 13 महिलाओं को सम्मानित करती है, जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए काम कर रही हैं। पूर्णिमा देवी बर्मन इस सूची में शामिल होने वाली एकमात्र भारतीय महिला हैं। उनके साथ हॉलीवुड अभिनेत्री निकोल किडमैन और फ्रांस की गिसेल पेलिकोट भी इस सूची में शामिल हैं, जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के खिलाफ आवाज उठाई है। साल 2007 में एक घटना ने पूर्णिमा देवी बर्मन का जीवन बदल दिया। जब उन्हें खबर मिली कि असम में एक पेड़ काटा जा रहा है, जिस पर हर्गिला पक्षी (ग्रेटर एडजुटेंट स्टॉर्क) के घोंसले थे। जब उन्होंने पेड़ काटने का कारण पूछा, तो वहां मौजूद लोग उनका मजाक उड़ाने लगे। लेकिन उनके मन में सिर्फ उन पक्षियों का ख्याल आया, जिनके छोटे-छोटे बच्चे घोंसले में थे। उन्होंने महसूस किया कि प्रकृति की रक्षा करना उनका कर्तव्य है और यहीं से उनके मिशन की शुरुआत हुई।उस समय असम में केवल 450 ‘हर्गिला पक्षी’ बचे थे, लेकिन आज इनकी संख्या बढ़कर 1,800 से ज्यादा हो गई है। उनके प्रयासों की बदौलत 2023 में इस पक्षी की स्थिति इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) की लिस्ट में ‘लुप्तप्राय’ से बदलकर निकट संकटग्रस्त कर दी गई।
दरअसल, पूर्णिमा देवी बर्मन ने इन पक्षियों को बचाने के लिए महिलाओं की एक टीम बनाई, जिसे ‘हर्गिला आर्मी’ नाम दिया। इस समूह में 20 हजार से ज्यादा महिलाएं शामिल हैं, जो पक्षियों की रक्षा करने के साथ-साथ लोगों को इनके महत्व के बारे में जागरूक करती हैं। अब यह अभियान असम से भारत के अन्य हिस्सों और कंबोडिया तक फैल चुका है। यहां तक कि फ्रांस के स्कूलों में भी उनके काम को पढ़ाया जा रहा है।
पूर्णिमा देवी बर्मन ने हर्गिला पक्षी को लोगों की संस्कृति से जोड़ने के लिए कई तरीके अपनाए हैं। जिसमें महिलाएं हर्गिला पक्षी की डिजाइन वाली साड़ियां और शॉल बुनकर आजीविका कमा रही हैं। इसके अलावा, गाने, उत्सव और यहां तक कि नवजात हर्गिला चूजों के लिए बेबी शॉवर भी आयोजित किए जाते हैं। इस पर पूर्णिमा का कहना है कि, अब यह पक्षी हमारी परंपरा और संस्कृति का हिस्सा बन चुका है।