नई दिल्ली। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पार्टी पर एक बार फिर गंभीर आरोप लगाते हुए ऐतिहासिक विवाद को हवा दे दी है। दुबे ने दावा किया है कि कांग्रेस ने वर्ष 1956 में खनन और पेट्रोलियम मंत्रालय को सेराजुद्दीन एंड कंपनी नामक निजी कंपनी को सौंप दिया था। भाजपा नेता के इस बयान के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है।
सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर निशिकांत दुबे ने कुछ दस्तावेज साझा करते हुए लिखा, “राहुल गांधी की पार्टी की करतूतें बेमिसाल हैं, तभी तो कांग्रेस के पास बेहिसाब संपत्ति है। 1956 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने खुद लोकसभा में माना था कि मंत्रालय सेराजुद्दीन एंड कंपनी को बेच दिया गया था।”
दुबे ने आरोप लगाया कि उस समय के खनन मंत्री के.डी. मालवीय ने मंत्रालय के अधिकार एक निजी कंपनी को सौंप दिए थे, जो उस समय मैंगनीज अयस्क की बड़ी ठेकेदार कंपनी थी। उन्होंने कहा कि इस कंपनी को “बेहद फायदे वाले खनन पट्टे” मिले, जिससे सरकारी हितों को भारी नुकसान हुआ।
भाजपा सांसद ने यह भी दावा किया कि मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के जज एस.के. दास ने की थी, और के.डी. मालवीय के खिलाफ चार चार्जशीट दाखिल हुई थीं। इसके बाद उन्हें 1963 में मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। दुबे ने आगे कहा कि वर्ष 1977 में के.डी. मालवीय मुंबई हाई ऑयल स्कैम के मामले में जेल भी भेजे गए थे, लेकिन 1980 में कांग्रेस सरकार ने केस वापस ले लिया, ताकि “गांधी परिवार के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश न हो सके।”
भाजपा नेता के इन आरोपों के बाद एक बार फिर कांग्रेस के पुराने शासनकाल और उसके नेताओं की भूमिका को लेकर राजनीतिक बहस छिड़ गई है। दुबे ने कहा, “कांग्रेस ने उस दौर में सत्ता को निजी स्वार्थों के लिए इस्तेमाल किया। यही कारण है कि आज भी देश में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हैं।”
यह पहली बार नहीं है जब निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर ऐतिहासिक घटनाओं के बहाने निशाना साधा हो। इससे पहले 3 अक्तूबर को भी उन्होंने इंदिरा गांधी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि 1975 के आपातकाल के दौरान जयपुर की महारानी गायत्री देवी और उनके बेटे कर्नल भवानी सिंह को झूठे आरोपों में जेल भेजा गया था। दुबे ने दावा किया था, “इंदिरा गांधी महारानी गायत्री देवी की सुंदरता से ईर्ष्या करती थीं, इसलिए उन्हें और उनके बेटे को ड्रग्स, हवाला और हथियारों की तस्करी के फर्जी मामलों में फंसा दिया गया।”
भाजपा सांसद के इन ताजा आरोपों से राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर पुराने घोटालों और सत्ता के दुरुपयोग को लेकर बहस छिड़ गई है। कांग्रेस की ओर से हालांकि अब तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।





