Sunday, April 27, 2025

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नासा 45 दिन सेहत की निगरानी करेगा

सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर धरती पर तो लौट आए, पर उनकी घर वापसी अभी आसान नहीं होगी। दोनों को धरती पर चलना और संभलना फिर से सीखना होगा। गुरुत्वाकर्षण के अनुरूप शरीर को ढालना होगा। इसके लिए दोनों को 45 दिन तक नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर में रखा जाएगा। उनकी सेहत में बदलावों पर नजर रखी जाएगी। पृथ्वी की आबोहवा में होने वाले परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के बाद ही वे घर वापस जा सकेंगे। अंतरिक्ष से जारी तस्वीरों व वीडियो में अंतरिक्ष यात्रियों को हवा में तैरते देखना नीचे से जितना रोचक लगता है, वास्तव में वहां से लौटने पर इसकी अलग चुनौतियां होती हैं। लंबे समय तक माइक्रो ग्रेविटी में रहने के कारण अंतरिक्ष यात्रियों की हड्डियों व मासपेशियों पर इसका असर होता है। इसे मसल एट्रोफी और बैलेंस इश्यू कहते हैं। इन्हें देखने, चलने, मुड़ने, किसी बात का जवाब देने में वक्त लगता है। इस दौरान हल्की सी लापरवाही दूरगामी असर डाल सकती है और गंभीर बीमारियों जैसे चल नहीं पाने, मानसिक दुविधाएं का डर रहता है।  ऐसे में सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं से निपटना होगा। आईए उसके बारे में जानते है।स्पेस एनीमिया ऐसी स्थिति है, जो अंतरिक्ष यात्रियों में विस्तारित अंतरिक्ष मिशन के दौरान देखी जाती है। दिल्ली के सीके बिरला अस्पताल में आंतरिक चिकित्सा के प्रमुख सलाहकार डॉ नरेंद्र सिंघला के मुताबिक, पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण पूरे शरीर में रक्त और तरल पदार्थों के वितरण को बनाए रखने में मदद करता है। लेकिन, अंतरिक्ष में, यह गुरुत्वाकर्षण खिंचाव नहीं होता और शरीर के तरल पदार्थ सिर की ओर ऊपर की ओर बढ़ते हैं। यह बदलाव रक्त की मात्रा और लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को प्रभावित करता है। अंतरिक्ष यात्रियों को बेबी फीट की भी समस्या होती है। इसें उनके तलवे की मोटी चमड़ी हट जाती है और वहां बच्चे के समान कोमल त्वजा आ जाती है। इसके कारण अंतरिक्षयात्रियों को पृथ्वी पर लौटने के बाद चलने में मुश्किल होती है। इससे उबरने के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को धीरे-धीरे पुनर्वास प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसमें बनावट वाली सतहों पर नंगे पैर चलना, असुविधा से राहत के लिए पैरों की मालिश करवाना और पैरों की मांसपेशियों और त्वचा को मजबूत करने के लिए व्यायाम करना होता है।

नासा के मुताबिक अंतरिक्ष में भारहीनता का अनुभव होता है। इससे जुबान व होठों पर असर होता है। पृथ्वी पर लौटने के बाद कुछ दिन तक ठीक तरह से बोलने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने पर अक्सर हड्डियों के घनत्व में अपूरणीय कमी देखी जाती है। अंतरिक्ष में बिताए हर महीने के साथ, अगर उचित सावधानी न बरती जाए तो अंतरिक्ष यात्रियों की वजन सहन करने वाली हड्डियां लगभग एक प्रतिशत कम घनी हो जाती हैं।

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