पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार के बाद कई कैथोलिक नेता इस बात पर विचार कर रहे हैं कि क्या चर्च को इस बार अपना पहला अश्वेत पोप चुनना चाहिए। ऐसे में तीन अफ्रीकी कार्डिनलों के नाम पर गंभीर विचार हो रहा है। यदि अगला पोप उप-सहारा अफ्रीका से हुआ तो वह वेटिकन के इतिहास में पहला होगा। हालांकि, यह चयन प्रक्रिया लंबी है, लेकिन कैथोलिक अफ्रीकियों को उम्मीद है कि फ्रांसिस का उत्तराधिकारी उनके महाद्वीप से एक अश्वेत कार्डिनल हो सकता है। रोम के सिस्टिन चैपल में नए पोप का चुनाव करने के लिए पात्र कार्डियलों का सम्मेलन अगले बुधवार से शुरू होगा, लेकिन इससे एक सप्ताह पहले ही कार्डिनलों में आपसी विमर्श शुरू हो चुका है। इनमें तीन अफ्रीकी लोगों का ‘पापाबिल’ के रूप में जिक्र हुआ। वेटिकन पर्यवेक्षकों द्वारा कैथोलिक चर्च का नेतृत्व करने के लिए संभावित दावेदारों को ‘पापाबिल’ शब्द से संबोधित किया जाता है। इन तीन अश्वेत कार्डिनलों में गिनी के रॉबर्ट सारा, घाना के पीटर टर्कसन और कांगो के फ्रिडोलिन एंबोंगो शामिल हैं। इनमें से कोई भी नया पोप चुना गया तो वह 1,500 से अधिक वर्षों में पहला अफ्रीकी पोप होगा। यह ऐतिहासिक रिकॉर्ड अफ्रीका में कई लोगों को बदलाव के लिए उत्सुक जरूर बनाता है, लेकिन इसे लेकर अफ्रीकी मूल के लोग बहुत अधिक आशावादी नहीं हैं। अश्वेत कार्डिनलों में जिन तीन नामों पर नए पोप के लिए विचार किया जा रहा है, उनमें गिनी के रॉबर्ट सारा, घाना के पीटर टर्कसन और कांगो के फ्रिडोलिन एंबोंगो शामिल हैं। इन तीनों में घाना के टर्कसन सबसे ऊपर हैं। हालांकि, उन्होंने 2010 में कहा था कि वह पोप बनने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा था, मैं पहला अश्वेत पोप नहीं बनना चाहता हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि मुश्किल समय का सामना करना पड़ेगा। कार्डिनल टर्कसन (76) के पिता खदान में और बढ़ई के रूप में काम करते थे, जबकि उनकी मां सब्जियां बेचती थीं। 2003 में वे घाना के इतिहास में पहले कार्डिनल बने।