Wednesday, September 10, 2025

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दक्षिण कोरिया में 64 साल बाद बड़ा बदलाव, राष्ट्रपति ली ने चुना पहला नागरिक रक्षा मंत्री

दक्षिण कोरिया में 64 साल बाद इतिहास रचते हुए राष्ट्रपति ली जे म्युंग ने देश के रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी एक आम नागरिक को सौंपी है। राष्ट्रपति ली ने पांच बार के सांसद और डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता आह्न ग्यू-बैक को देश का नया रक्षा मंत्री नामित किया है। इससे पहले यह पद हमेशा सेना के रिटायर्ड जनरलों के हाथों में ही रहा है।
यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जब देश के पूर्व रक्षा मंत्री किम योंग ह्युन समेत कई शीर्ष सैन्य अधिकारी आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं। ये अधिकारी पूर्व राष्ट्रपति यून सुक योल के कार्यकाल के दौरान देश में मार्शल लॉ लागू करने में शामिल बताए जा रहे हैं। योन पर बगावत के आरोप हैं और उन्हें राष्ट्रपति पद से हटा दिया गया है।

सांसद आह्न ग्यू-बैक लंबे समय से नेशनल असेंबली की रक्षा समिति से जुड़े रहे हैं। इसके अलावा वह उस संसदीय जांच समिति के प्रमुख भी रहे हैं, जिसने पिछले साल यून के मार्शल लॉ लागू करने के पूरे घटनाक्रम की जांच की थी। बता दें कि उस दौरान भारी हथियारों से लैस सैकड़ों सैनिकों को संसद भवन और चुनाव आयोग के दफ्तरों में तैनात किया गया था। जांच एजेंसियों ने इसे लोकतंत्र पर हमला करार दिया।
इसी पृष्ठभूमि में दक्षिण कोरिया में यह मांग तेज हुई कि सेना पर नागरिकों का नियंत्रण और मजबूत किया जाए। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ली जे म्युंग ने भी वादा किया था कि वे देश को सैन्य वर्चस्व से मुक्त करेंगे और रक्षा मंत्री पद पर किसी नागरिक को नियुक्त करेंगे। अब उन्होंने अपने वादे पर अमल किया है।

आह्न ग्यू-बैक को लेकर औपचारिक सुनवाई की प्रक्रिया जरूर होगी, लेकिन यह महज एक औपचारिकता है। डेमोक्रेटिक पार्टी के पास संसद में बहुमत है और इस पद पर नियुक्ति के लिए ली को संसद की मंजूरी जरूरी नहीं है। प्रधानमंत्री पद को छोड़कर अन्य कैबिनेट पदों पर राष्ट्रपति को सीधे नियुक्ति का अधिकार है।
रक्षा मंत्रालय के अलावा ली ने अपने मंत्रिमंडल में 11 अन्य पदों पर भी नामों की घोषणा की है। इनमें अनुभवी राजनयिक चो ह्यून को विदेश मंत्री और पांच बार के सांसद चुंग डोंग-यंग को दोबारा एकीकरण मंत्री नामित किया गया है। चुंग इससे पहले 2004-2005 में उत्तर कोरिया के साथ संबंधों के लिए सियोल के शीर्ष अधिकारी रह चुके हैं। राष्ट्रपति ली का यह कदम दक्षिण कोरिया में लोकतंत्र की दिशा में अहम बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है।

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