वायनाड निर्वाचन क्षेत्र से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की लोकसभा जीत के बारे में केरल की सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के पोलित ब्यूरो के सदस्य ए. विजयराघवन की हालिया विवादास्पद टिप्पणी पर विवाद छिड़ गया है। एक तरफ जहां, कांग्रेस और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के नेताओं ने तीखी आलोचना की। वहीं, सत्तारूढ़ माकपा नेताओं ने विजयराघवन का समर्थन किया। वायनाड में हाल ही में एक पार्टी कार्यक्रम के दौरान विजयराघवन ने कथित तौर पर दावा किया था कि राहुल गांधी ने सांप्रदायिक ताकतों के समर्थन से दो बार बड़ी जीत हासिल की और प्रियंका गांधी की प्रचार रैलियों में चरमपंथी तत्व मौजूद थे। सोमवार को माकपा के प्रमुख नेताओं ने कहा कि विजयराघवन ने कुछ गलत नहीं कहा और न ही पार्टी की नीति के खिलाफ बयान दिया। वे अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक दोनों तरह की सांप्रदायिकता का विरोध करते हैं। उन्होंने अपने नेता द्वारा कांग्रेस के खिलाफ लगाए गए आरोपों को भी दोहराया और कांग्रेस पर चुनावी लाभ के लिए सांप्रदायिक संगठनों के साथ सांठगांठ करने का आरोप लगाया। इससे एक दिन पहले कांग्रेस और उनके यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) साझेदार, भारतीय यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने आरोप लगाया कि विजयराघवन समाज में बहुसंख्यक सांप्रदायिकता को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। इसके एक दिन बाद माकपा नेतृत्व पोलित ब्यूरो सदस्य के समर्थन में सामने आया। माकपा के राज्य सचिव एमवी गोविंदन ने कहा कि विजयराघवन ने जो कहा, वह सटीक था और आरोप लगाया कि एसडीपीआई और जमात-ए-इस्लामी जैसी सांप्रदायिक संस्थाएं UDF के चुनावी साझेदार के रूप में काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यह गठजोड़ हाल के पलक्कड विधानसभा उपचुनाव के दौरान स्पष्ट था। उन्होंने यह भी कहा कि जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ की गई आलोचना मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नहीं है और आरएसएस के विरोध में खड़ा होना हिंदुओं के खिलाफ नहीं है। माकपा का उद्देश्य दोनों प्रकार की सांप्रदायिकता का विरोध करना है।