उत्तरकाशी। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। जिले के कई इलाकों में संचार व्यवस्था पूरी तरह ठप पड़ी है। मोबाइल नेटवर्क न मिलने से लोग अपने परिजनों का हालचाल तक नहीं जान पा रहे। मजबूरन ग्रामीण और यात्री ऊंची पहाड़ियों पर चढ़कर नेटवर्क पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर, बंद पड़े राष्ट्रीय राजमार्गों और संपर्क मार्गों को खोलने के लिए मजदूर जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं।
नेटवर्क के लिए पहाड़ियों पर चढ़ रहे लोग
जिले में बीते दिनों से लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन ने संचार व्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है। कई गांवों में मोबाइल नेटवर्क पूरी तरह ठप है। लोग घंटों पैदल चलकर ऊंची पहाड़ियों पर चढ़ते हैं, ताकि थोड़ी-सी जगह पर मोबाइल सिग्नल पकड़कर अपने घर-परिवार से संपर्क कर सकें। स्थानीय लोगों का कहना है कि नेटवर्क न होने से आपात स्थिति में भी भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
हाईवे खोलने में जुटे मजदूर
भारी भूस्खलन और मलबे के कारण उत्तरकाशी से गुजरने वाले कई राष्ट्रीय राजमार्ग और ग्रामीण संपर्क मार्ग अवरुद्ध हैं। यातायात बहाल करने के लिए मजदूर लगातार मेहनत कर रहे हैं। मलबा और पत्थर हटाते समय उनके ऊपर चट्टानें गिरने का खतरा बना रहता है, बावजूद इसके वे अपनी जान की परवाह किए बिना सड़कों को खोलने में जुटे हैं। प्रशासन ने जेसीबी और अन्य संसाधन तैनात किए हैं, लेकिन दुर्गम इलाके और लगातार बरसात राहत कार्यों में बड़ी चुनौती बने हुए हैं।
ग्रामीणों की दोहरी मार
एक ओर नेटवर्क न होने से संचार ठप है, दूसरी ओर मार्ग बंद होने से जरूरी सामान की आपूर्ति बाधित हो गई है। दवाइयों, खाद्य सामग्री और दूध जैसी बुनियादी जरूरतें प्रभावित हो रही हैं। स्थानीय लोगों ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द संचार व्यवस्था बहाल की जाए और बंद मार्गों को पूरी तरह से खोला जाए।
गौरतलब है कि उत्तरकाशी आपदा के दौरान हर बार संचार और परिवहन व्यवस्था की सबसे ज्यादा मार झेलता है। इस बार भी हालात ऐसे ही हैं, जहां आम नागरिक और मजदूर दोनों अपनी जान जोखिम में डालकर हालात का सामना कर रहे हैं।