कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर की 1962 में चीनी आक्रमण के लिए ‘कथित’ शब्द का इस्तेमाल करने वाली टिप्पणी ने मंगलवार देर रात राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया। भाजपा ने इसे ‘संशोधनवाद का निर्लज्ज प्रयास’ बताया। हालांकि, बाद में अय्यर ने ‘कथित’ शब्द का इस्तेमाल करने के लिए माफी मांगी। वहीं, कांग्रेस ने अय्यर की इस टिप्पणी से खुद को दूर कर लिया। वहीं, इस बयान से दूरी बनाते हुए कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा कि बिना शर्त माफी मांगने के बाद प्रकरण समाप्त हो जाना चाहिए। कांग्रेस नेता अय्यर ने मंगलवार शाम विदेशी संवाददाता क्लब में एक कार्यक्रम में किस्सा सुनाते हुए कहा था कि अक्तूबर 1962 में चीनियों ने कथित तौर पर भारत पर आक्रमण किया। अय्यर ने यह टिप्पणी ‘नेहरू फर्स्ट रिक्रूट्स’ पुस्तक के विमोचन के अवसर पर की। भाजपा आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने अय्यर की टिप्पणी पर कांग्रेस की आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘एफसीसी में नेहरू फर्स्ट रिक्रूट्स नामक पुस्तक के विमोचन के दौरान बोलते हुए मणिशंकर अय्यर 1962 में चीनी आक्रमण को ‘कथित’ बताते हैं। यह संशोधनवाद का एक बेशर्म प्रयास है।’ मालवीय ने आरोप लगाया कि नेहरू ने चीनियों के पक्ष में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सीट पर भारत का दावा छोड़ दिया, राहुल गांधी ने एक गुप्त समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, राजीव गांधी फाउंडेशन ने चीनी दूतावास से चंदा लिया और चीनी कंपनियों को भारत में व्यापार करने में आसानी हो, इस मकसद से एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई। उनके आधार पर, सोनिया गांधी की यूपीए सरकार ने चीनी सामानों के लिए भारतीय बाजार खोल दिया, जिससे देश के सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को नुकसान हुआ। अब कांग्रेस नेता अय्यर 1962 के चीनी आक्रमण पर पर्दा डालना चाहते हैं, जिसके बाद चीनियों ने 38,000 वर्ग किमी भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर लिया था। मालवीय ने पूछा कि कांग्रेस का चीनियों के प्रति प्रेम क्या बताता है? इस विवाद के बीच कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने पीएम मोदी पर मई 2020 में चीन की घुसपैठ के लिए उन्हें क्लीन चिट देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भारत पर 20 अक्तूबर 1962 को शुरू हुआ चीनी आक्रमण वास्तविक था। मई 2020 की शुरुआत में भी लद्दाख में चीनी घुसपैठ हुई, जिसमें हमारे 40 सैनिक शहीद हो गए और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के लिए निर्धारित यथास्थिति भंग हो गई। हालांकि, प्रधानमंत्री ने 19 जून 2020 को चीनी घुसपैठ को सिरे से खारिज कर दिया और क्लीन चिट दे दी। जयराम रमेश के मुताबिक, प्रधानमंत्री के बयान के बाद भारत की स्थिति कमजोर हो गई। उन्होंने दावा किया देपसांग और डेमचोक सहित 2000 वर्ग किमी का क्षेत्र भारतीय सैनिकों के कब्जे में नहीं है और चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा कर रखा है।





