चार दशक से समाजसेवा में जीवन समर्पित करने वाले पद्मश्री एस दामोदरन ने सियासी सफर की शुरुआत के लिए तिरुचिरापल्ली से निर्दलीय परचा भरा है। सफाई और दैनिक स्वच्छता क्षेत्र में विशेष योगदान देते हुए छह लाख से अधिक शौचालय बना चुके दामोदरन अब सियासी सफाई के संकल्प को लेकर संसद जाने की तैयारी में हैं। केंद्र ने उनके सराहनीय योगदान को देखते हुए 2022 में दामोदरन को पद्मश्री से नवाजा था। दामोदरन ने अपना पूरा जीवन शहरी, ग्रामीण गरीबों और तटीय क्षेत्र में रहने वालों के लिए समर्पित किया। दामोदरन ने वोट मांगने के लिए भी अनूठा तरीका तलाशा है। जहां बड़ी-बड़ी पार्टियों के नेता रैली व जुलूस निकालकर प्रचार कर रहे हैं, दामोदरन फूलों की माला बनाकर और सब्जियां बेचकर अपने लिए वोट मांग रहे हैं। 12 मार्च 1962 में जन्मे दामोदरन ने ग्रामालय नाम से एक संस्था शुरू की और 1980 से लेकर 2014 के स्वच्छ भारत मिशन तक सभी सरकारी कार्यक्रमों वह शामिल रहे। दामोदरन ने नौ प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया। उनकी संस्था ग्रामालय ने ही खुले में शौच मुक्त गांव की अवधारणा का प्रयोग सबसे पहले तिरुचिरापल्ली जिले के थंडावमपट्टी गांव में किया था। यह भारत का पहला खुले में शौच मुक्त गांव था। दामोदरन ने 60 हजार स्मार्ट टॉयलेट का डिजाइन भी तैयार किया।