उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) नैनीताल प्रवास पर हैं। वह लंबे समय तक सेना के प्रमुख पदों पर रहे हैं। कश्मीर और उत्तराखंड में भी उनकी तैनाती रही है। पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेना की ओर से पाकिस्तान के आतंकी शिविरों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चलाया गया। उसके बाद सीजफायर हो गया। इस मामले में विपक्ष और कुछ एक्स्पर्ट की ओर से सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इस पर राज्यपाल क्या सोचते है? इस मुद्दे पर अमर उजाला ने उनसे बातचीत की, जिसमें उन्होंने कहा कि आतंकियों पर सटीक प्रहार कर देश को सही समय पर युद्ध से निकाल लिया। यह ऑपरेशन इतिहास में दर्ज हो गया है।
कश्मीर को मैंने बेहद करीब से देखा है। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से मुकाबला किया है। जिस तरह से पाकिस्तान पोषित आतंकियों ने पहलगाम में हमारे 26 मासूम नागरिकों की हत्या की, उससे पूरे देश में उबाल था। भारत का हर नागरिक चाह रहा था कि आतंकवादियों को सबक सिखाया जाए। जनता की भावना को देखते हुए भारत की ओर से ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया गया। इसके तहत मिसाइल के जरिये पाकिस्तान के आतंकी शिविरों को ध्वस्त किया गया। महज चार दिन में हमारी सेना ने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। इससे हर भारतीय खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा है।
यूक्रेन और रूस के युद्ध को देख लीजिए। कितने साल से चल रहा है, इससे किसे लाभ और किसे नुकसान हो रहा है। इस्राइल और हमास की जंग पर भी नजर डालिए। ऐसा लग रहा था कि चंद दिनों में ही यह खत्म हो जाएगी लेकिन वास्तव में हुआ क्या? इन दोनों देशों को जबरदस्त तरीके से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है, जिसका असर वहां की जनता पर पड़ रहा है। वियतनाम और अफगानिस्तान से किस तरह अमेरिका को सालों बाद भागना पड़ा। यह भी उदाहरण सबके सामने है। दुनिया के कई देश ऐसा ही चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच लंबा युद्ध चले, जिससे उन्हें फायदा हो। भारत ने आतंकवाद पर सटीक प्रहार कर सही समय पर देश को युद्ध से बाहर निकाल लिया। लंबी जंग चलने की स्थिति में आर्थिक तौर पर सबसे अधिक नुकसान अपने देश को होता। पाकिस्तान के पास खोने के लिए कुछ नहीं है, जबकि भारत दुनिया भर में सबसे तेजी से उभरता हुआ देश है।
भारत सत्यमेव जयते को मानने वाला देश है। उसी के तहत ऑपरेशन सिंदूर के पहले दिन से ही सरकार ने सधे अंदाज में पूरी दुनिया तक अपनी बात पहुंचाई। चीन और तुर्किये को छोड़कर किसी भी दूसरे देश ने भारत का विरोध नहीं किया। भारत विश्व के दूसरे देशों को यह समझाने में सफल रहा है कि उसका एक्शन किसी देश के खिलाफ नहीं बल्कि आतंकवाद का फन कुचलने के लिए था। यह हमारी डिप्लोमेसी की सबसे बड़ी जीत है। जिस तरह से आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल इंडिया ने किया है। पाकिस्तान की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले द्रोण को जिस तरह से मार गिराया गया है। उससे देश और मजबूत हुआ है। इससे दुनिया में हमारी साख मजबूत हुई है।
उत्तराखंड में वीसी की नियुक्ति को लेकर भविष्य में कोई विवाद खड़ा नहीं होगा। मैंने वीसी की नियुक्ति की प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बना दिया है। सर्च कमेटी की ओर से जिन अंतिम पांच उम्मीदवारों का चयन किया जाता है, उनका इंटरव्यू में व्यक्तिगत तौर पर करता हूं। इंटरव्यू की वीडियो रिकार्डिंग कराता हूं। उसके बाद मेरिट के आधार पर ही विश्वविद्यालयों के वीसी की नियुक्ति की जा रही है।
पहाड़ से पलायन चिंता की बात है। खासतौर पर सीमांत इलाकों के गांवों से हो रहे पलायन को तत्काल रोकने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब उत्तराखंड आए तो उन्होंने अंतिम गांव को पहला गांव कहा। ऐसे गांवों के विकास के लिए केंद्र की ओर से योजना बनाई गई। देश में 2751 गांव वाइब्रेंट विलेज के तौर पर चिह्नित किए गए हैं। इनमें 51 गांव उत्तराखंड में हैं। मैंने व्यक्तिगत तौर पर 27 गांवों में रातें बिताई हैं। इन गांवों में सड़क और विकास की अन्य सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत है, जिससे हर हाल में पलायन पर ब्रेक लगे। केंद्र और राज्य सरकार के अलावा मैं व्यक्तिगत तौर पर भी पलायन रोकने के लिए काम कर रहा हूं।