Friday, October 18, 2024

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चुनाव आयुक्त को 19 घंटे बाद किया गया रेस्क्यू

नंदा देवी ट्रेक पर ट्रेकिंग के लिए निकले मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार, उनके पीएसओ, प्रदेश के उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. विजय कुमार जोगदंडे को 19 घंटे बाद रेस्क्यू किया जा सका। रालम में फंसे अफसरों ने एक घर में रात बिताई। बृहस्पतिवार सुबह सात बजे वह दूसरे हेलीकॉप्टर से मुनस्यारी हेलीपैड पहुंचे। हेलीकॉप्टर यहां से उन्हें और साथियों को लेकर दून रवाना हुआ। सभी अधिकारियों की सुरक्षित वापसी होने पर पुलिस-प्रशासन और आईटीबीपी ने राहत की सांस ली। बीते बुधवार को नंदा देवी ट्रेकिंग पर निकले मुख्य चुनाव आयुक्त और प्रदेश के उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी का हेलीकॉप्टर मौसम में खराबी के चलते रालम से आगे नहीं बढ़ सका और ना ही वापस लौट सका। सुरक्षा को देखते हुए पायलट को रालम में एक खेत में हेलीकॉप्टर की आपातकालीन लैंडिंग करानी पड़ी।सूचना पर जिला प्रशासन ने मुख्य चुनाव आयुक्त को रेस्क्यू करने के प्रयास शुरू किए। हालांकि हिमालयी क्षेत्र में भारी बारिश के चलते रेस्क्यू करना चुनौतीपूर्ण था। ऐसे में दूसरे दिन का इंतजार करना पड़ा। मौसम का साथ मिला और बृहस्पतिवार सुबह देहरादून से दूसरा हेलीकॉप्टर रालम भेजा गया।सुबह सात बजे हेलीकॉप्टर मुख्य चुनाव आयुक्त और उनके साथियों को लेकर मुनस्यारी पहुंचा तो सभी ने राहत की सांस ली। मुनस्यारी हेलीपैड पर पुलिस और आईटीबीपी के जवानों ने मुख्य चुनाव आयुक्त को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इसके बाद वह और उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी हेलीकॉप्टर से देहरादून के लिए रवाना हुए। डीएम विनोद गोस्वामी ने कहा कि पुलिस-प्रशासन और आईटीबीपी की टीम के साथ ही स्थानीय लोगों के सहयोग से मुख्य चुनाव आयुक्त को रेस्क्यू किया गया।

मुख्य चुनाव आयुक्त को रेस्क्यू करने गई टीम को रालम गांव पहुंचने में कई घंटे का समय लगा। प्रशासन के अनुरोध पर पातों गांव के ईश्वर सिंह नबियाल अपने चार साथियों के साथ मुख्य चुनाव आयुक्त की मदद के लिए रालम पहुंचे। इस बीच रालम ग्लेशियर में ट्रेकिंग के लिए पहुंचे ट्रेकरों ने भी सुनसान रालम गांव में मुख्य चुनाव आयुक्त की मदद की। उन्होंने उन्हें मैगी के पैकेट भी दिए।

आईटीबीपी के जवानों को मुख्य चुनाव आयुक्त की मदद के लिए मिलम से 21 किमी दूर रालम पहुंचना था। आईटीबीपी के जवान तीन फुट बर्फ के बीच ब्रिजगंगा टॉप को पार कर किसी तरह रालम गांव पहुंचे। ऐसे में जवानों को भी रालम पहुंचने के लिए कठिन चुनौती का सामना करना पड़ा।

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