भूस्खलन त्रासदी पीड़ितों का दर्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्नेह पाकर छलक पड़ा। उन्होंने जब बच्चों के सिर पर हाथ फेरा तो उनके चेहरों पर मुस्कान खिल उठी। किसी ने पूरा परिवार खोया है तो किसी के बच्चे अब दुनिया में नहीं….पीडि़तों की आपबीती सुनकर मोदी की आंखें भी छलक उठीं। राहत शिविर में पहुंचे पीएम ने न सिर्फ लोगों को ढांढस बंधाया, बल्कि उनको भरोसा दिलाया कि उनकी हर जरूत का ख्याल सरकार रखेगी। मोदी को देखकर राहत शिविर में त्रासदी का दंश झेल चुके लोगों के चेहरे पर उम्मीद की किरण जागी। पीएम ने राहत कार्य में लगे मजदूरों से लेकर अफसरों तक, सभी का हाल पूछा और उनके कार्य की सराहना भी की। उन्होंने कहा, कि जो निष्ठा और जज्बा बचाव कार्य में दिखाया, उससे कई परिवार उजड़ने से बच गए। मोदी ने राहत शिविरों में ठहरे लोगों के स्वास्थ्य के बारे में डॉक्टरों से जाना और उनकी बेहतर देखभाल करने को कहा। डॉ. चार्ली ने पीएम मोदी को कैंप में ठहरे लोगों की स्थिति का ब्योरा दिया। उन्हें बताया कि वे किस तरह के मानसिक व शारीरिक पीड़ा झेल रहे हैं। डॉ. चार्ली ने कहा, पीएम ने ठीक हुए लोगों की संख्या, उन्नत उपचार की जानकारी ली। केरल सरकार ने राहत कार्य के लिए केंद्र से 2,000 करोड़ रुपये की सहायता मांगी है। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि वायनाड भूस्खलन को राष्ट्रीय आपदा घोषित नहीं किया जा सकता, क्योंकि नियमों के तहत ऐसी कोई अवधारणा है ही नहीं। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी समेत अन्य नेताओं की वायनाड में भूस्खलन त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग के बीच केंद्र सरकार की ओर से यह स्पष्टीकरण आया है। इसमें यूपीए सरकार के एक मंत्री की ओर से 2013 में लोकसभा में दिये जवाब का हवाला दिया गया। राहुल ने राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की थी।
सरकार ने साफ किया है कि यूपीए सरकार में तत्कालीन गृह राज्य मंत्री और केरल से कांग्रेस सांसद मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने 2013 में एक सवाल के जवाब में लोकसभा को बताया था कि नियमानुसार प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का कोई प्रावधान नहीं है।





