नई दिल्ली। देश के रक्षा उत्पादन ढांचे में एक बार फिर असंतोष की लहर है। देशभर में फैली 41 आयुध निर्माणी (Ordnance Factories) के रक्षा असैनिक कर्मचारियों ने केंद्र सरकार के उन्हें रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (DPSUs) में मर्ज करने के फैसले का कड़ा विरोध किया है। कर्मचारियों का कहना है कि यह कदम उनकी सेवा शर्तों, सुरक्षा और रोजगार स्थिरता पर सीधा असर डालेगा।
सूत्रों के अनुसार, कर्मचारी संगठनों ने सरकार को स्पष्ट संदेश दिया है कि वे DPSU मर्जर योजना को स्वीकार नहीं करेंगे। यूनियनों का तर्क है कि आयुध कारखाने दशकों से देश की रक्षा जरूरतों को पूरा कर रहे हैं और इन्हें कॉर्पोरेट ढांचे में बदलना कर्मचारियों के हितों के खिलाफ है।
कर्मचारी महासंघों ने आरोप लगाया है कि मर्जर के बाद कर्मचारियों की पे-स्केल, पेंशन, ट्रांसफर नीति और पदोन्नति प्रणाली पर अनिश्चितता बढ़ जाएगी। साथ ही, निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ने से रक्षा उत्पादन में निजीकरण का रास्ता खुल जाएगा, जो देश की रणनीतिक सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकता है।
ऑल इंडिया डिफेंस एम्प्लॉइज फेडरेशन (AIDEF), भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ (BPMS) और इंडियन नेशनल डिफेंस वर्कर्स फेडरेशन (INDWF) जैसी प्रमुख यूनियनों ने कहा है कि अगर सरकार ने कर्मचारियों की चिंताओं को अनदेखा किया, तो वे देशव्यापी आंदोलन शुरू करने को मजबूर होंगे।
संघों का कहना है कि मर्जर के फैसले से पहले सरकार ने कर्मचारियों से कोई ठोस संवाद नहीं किया। “हमें भरोसा दिलाया गया था कि हमारी सेवा शर्तें और पेंशन सुरक्षा प्रभावित नहीं होगी, लेकिन अब जारी नोटिफिकेशनों से स्पष्ट है कि कई प्रावधान कर्मचारियों के हितों के विपरीत हैं,” यूनियन पदाधिकारियों ने कहा।
जानकारी के अनुसार, 2021 में केंद्र सरकार ने देश की 41 आयुध निर्माणियों को सात नए रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों में पुनर्गठित किया था, ताकि उत्पादन क्षमता, गुणवत्ता और निर्यात में सुधार किया जा सके। हालांकि, कर्मचारियों का कहना है कि इससे न तो उत्पादन में सुधार हुआ और न ही कार्यस्थलों पर स्थिरता बनी।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि सरकार कर्मचारियों की चिंताओं से अवगत है और इस पर विचार-विमर्श जारी है। लेकिन यूनियनों का रुख स्पष्ट है— “हमारे भविष्य और सेवा सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता।”
कर्मचारी संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने शीघ्र समाधान नहीं निकाला, तो दीपावली के बाद देशभर में धरना-प्रदर्शन और कार्य बहिष्कार की रूपरेखा तैयार की जाएगी।





