मौसम विभाग ने इस महीने 13 राज्यों में सामान्य से अधिक तापमान और गर्म हवाएं चलने की भविष्यवाणी की है और इसके कारण हीट स्ट्रोक (लू) के मामले बढ़ सकते हैं। लू की चपेट में आकर अस्पताल पहुंचने पर सबसे पहले मरीज को ठंडा किया जाता है, लेकिन देश के 100 में से 68 अस्पतालों में आपातकालीन शीतलता की व्यवस्था नहीं है। यहां तक कि एसी-कूलर के भी पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं, जिनकी मदद से मरीजों को थोड़ा-बहुत ठंडा तापमान देकर राहत दिलाई जा सके। ग्रामीण स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज तक की यही स्थिति है। मौसम विभाग ने मार्च के दौरान राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों सहित देश के ज्यादातर भागों में सामान्य से अधिक गर्मी की आशंका जताई है। केंद्र सरकार के जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीसीसीएचएच) ने हाल ही में गर्मी-स्वास्थ्य तैयारी एवं प्रतिक्रिया गतिविधियां नामक रिपोर्ट जारी की है, जिसके मुताबिक 12 अप्रैल से 31 जुलाई 2024 के बीच भारत के अलग-अलग राज्यों से 5,069 सरकारी अस्पतालों में गर्मी से निपटने के इंतजामों की समीक्षा की गई।
इसमें ओआरएस घोल से लेकर इमरजेंसी कूलिंग तक की व्यवस्था का आकलन किया गया। इस दौरान 99 फीसदी अस्पतालों में भीषण गर्मी या लू की चपेट में आने वाले रोगियों के लिए ओआरएस घोल तो पर्याप्त मात्रा में पाया गया, लेकिन इमरजेंसी कूलिंग की सुविधा केवल 32 फीसदी अस्पतालों में ही मिली।
यह भी सामने आया कि शेष 68 फीसदी में से 47 फीसदी के पास जरूरी निदान उपकरण तक उपलब्ध नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में भीषण गर्मी की चपेट में आने वालों को समय रहते स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि यहां के अस्पतालों के पास शीतलता वाले यंत्रों का सबसे ज्यादा अभाव है। 74 फीसदी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के पास एसी या कूलर नहीं हैं। वहीं, 60 फीसदी सामुदायिक केंद्र, 53 फीसदी उप जिला अस्पताल और 49 फीसदी जिला अस्पतालों में यह सुविधा नहीं पाई गई।