जकार्ता।
इंडोनेशिया में सांसदों को दिए जा रहे अत्यधिक वेतन और भत्तों को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। जनता के विरोध प्रदर्शनों और लगातार बढ़ते दबाव के आगे आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा और सांसदों की सैलरी व भत्तों में कटौती का ऐलान किया गया।
जानकारी के अनुसार, हाल ही में सरकार ने सांसदों को मिलने वाले वेतन, यात्रा भत्ता और अन्य सुविधाओं में वृद्धि की थी। इस फैसले के बाद देशभर में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। राजधानी जकार्ता समेत कई शहरों में हजारों नागरिक सड़कों पर उतर आए और प्रदर्शन करने लगे। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि जब देश की बड़ी आबादी महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रही है, ऐसे समय में नेताओं को अतिरिक्त सुविधाएँ देना जनता के साथ अन्याय है।
विरोध इतना तेज हुआ कि कई जगह प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें भी हुईं। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा तेजी से वायरल हुआ और लोगों ने सांसदों की सैलरी वृद्धि को “जनविरोधी” कदम करार दिया।
बढ़ते आक्रोश को देखते हुए सरकार ने संसद सदस्यों के वेतन-भत्तों की समीक्षा करने और उनमें कटौती करने का निर्णय लिया। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए यह कदम उठाया गया है।
विश्लेषकों का कहना है कि यह घटनाक्रम इंडोनेशिया की राजनीति के लिए बड़ा सबक है। जनता अब अपने नेताओं से पारदर्शिता और जवाबदेही की उम्मीद करती है। प्रदर्शनकारियों का संदेश साफ था—पहले जनता की समस्याओं का समाधान किया जाए, फिर नेताओं को सुविधाएँ बढ़ाई जाएँ।