मुंबई। महाराष्ट्र में प्रस्तावित ‘हलाल टाउनशिप’ को लेकर राजनीतिक और सामाजिक विवाद गहराता जा रहा है। कई संगठनों और नेताओं ने इस परियोजना पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि धर्म के आधार पर बसाई जाने वाली कॉलोनियां या टाउनशिप देश की सामाजिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकता के लिए गंभीर खतरा हैं।
विरोध के स्वर तेज
महाराष्ट्र के विभिन्न हिंदू संगठनों और विपक्षी दलों के नेताओं ने आरोप लगाया है कि किसी भी विशेष धर्म को केंद्र में रखकर बनाई जाने वाली आवासीय परियोजनाएं समाज को बांटने का काम करती हैं। उनका कहना है कि संविधान ने हर नागरिक को समानता का अधिकार दिया है, ऐसे में धर्म आधारित टाउनशिप की अनुमति देना सीधे-सीधे भेदभाव को बढ़ावा देना है।
‘हलाल टाउनशिप’ पर सवाल
विवाद की जड़ में प्रस्तावित ‘हलाल टाउनशिप’ है, जिसके बारे में दावा किया जा रहा है कि यह मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए विशेष रूप से विकसित की जा रही है। विरोध करने वालों का कहना है कि यदि इस तरह की परियोजनाओं को बढ़ावा मिला तो भविष्य में अन्य धर्मों के लिए भी अलग-अलग कॉलोनियां बनने लगेंगी, जिससे समाज में ध्रुवीकरण और आपसी दूरी बढ़ेगी।
राष्ट्रीय एकता पर असर की आशंका
विरोधियों ने चेतावनी दी है कि यदि धर्म आधारित आवासीय परियोजनाओं को मान्यता दी जाती है, तो यह देश की राष्ट्रीय एकता और सद्भावना पर गहरा असर डालेगा। उनका तर्क है कि ऐसी योजनाओं से ‘गेटो कल्चर’ (बंद समुदायों की बसावट) को बढ़ावा मिलेगा, जो सामाजिक ताने-बाने के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
सरकार पर दबाव
फिलहाल राज्य सरकार इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है, लेकिन विरोध के स्वर तेज होते जा रहे हैं। कुछ संगठनों ने सरकार से मांग की है कि हलाल टाउनशिप परियोजना को तत्काल रद्द किया जाए और स्पष्ट नीति बनाई जाए कि किसी भी प्रकार की धर्म आधारित आवासीय योजना को मंजूरी नहीं दी जाएगी।
गौरतलब है कि इससे पहले भी देश के अन्य हिस्सों में धर्म या जाति के आधार पर कॉलोनियां विकसित करने की कोशिशें हुई थीं, लेकिन हर बार इसे सामाजिक विभाजन का कारण मानते हुए विवाद खड़ा हो गया। महाराष्ट्र में ‘हलाल टाउनशिप’ को लेकर शुरू हुआ यह विवाद भी अब राष्ट्रीय स्तर पर बहस का विषय बन गया है।