सुप्रीम कोर्ट ने मौलिक अधिकारों और जमानत की शर्तों पर बड़ा आदेश दिया है। जस्टिस बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि निचली अदालतों में जमानत देने की शर्तों में ‘राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होने’ को नहीं गिना जा सकता। अदालत ने साफ किया कि किसी शख्स पर ऐसी रोक लगाए जाने से उसके मौलिक अधिकारों का हनन होता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश उड़ीसा हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर पारित किया। ओडिशा के बहरामपुर नगर निगम के पूर्व मेयर सिबा शंकर दास ने उड़ीसा हाईकोर्ट के 18 जनवरी को पारित आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने जमानत की शर्त को वापस लेने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने साफ किया था कि सिबा शंकर दास सार्वजनिक रूप से कोई अप्रिय स्थिति पैदा नहीं करेंगे। हाईकोर्ट ने कहा था कि दास प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी राजनीतिक गतिविधि में भी शामिल नहीं होंगे।