नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2014 में शुरू की गई प्रधानमंत्री जनधन योजना ने 11 साल पूरे कर लिए हैं। इस मौके पर पीएम मोदी ने देशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि यह योजना केवल बैंक खाते खोलने की पहल नहीं थी, बल्कि करोड़ों लोगों को वित्तीय सशक्तिकरण की ओर ले जाने वाली क्रांति थी।
पीएम मोदी ने कहा, “जनधन योजना ने गरीब और वंचित वर्ग को अपना भाग्य खुद लिखने की ताकत दी है। आज गाँव-गाँव और घर-घर में आर्थिक सशक्तिकरण की नई रोशनी पहुँची है। यह योजना केवल बैंकिंग सुविधा तक पहुँचने का साधन नहीं रही, बल्कि इसने सामाजिक बदलाव और आत्मनिर्भरता की राह खोली है।”
11 साल की उपलब्धियाँ
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 11 वर्षों में इस योजना के तहत 50 करोड़ से ज्यादा बैंक खाते खोले जा चुके हैं। इनमें से अधिकांश खाते महिलाओं और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के नाम पर हैं। इन खातों में कुल जमा राशि लाखों करोड़ तक पहुँच चुकी है।
गरीब से गरीब तक बैंकिंग सेवाएँ
योजना का उद्देश्य था कि समाज के हर वर्ग तक बैंकिंग सेवाएँ पहुँचे। पहले जहाँ बड़ी आबादी बैंकिंग व्यवस्था से बाहर थी, वहीं अब लोग न सिर्फ खाते खोल पाए हैं, बल्कि रुपे डेबिट कार्ड, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT), बीमा और पेंशन जैसी सुविधाओं का लाभ भी उठा रहे हैं।
महिलाओं और ग्रामीण भारत के लिए बड़ा बदलाव
जनधन योजना ने विशेष तौर पर ग्रामीण इलाकों और महिलाओं को लाभ पहुँचाया है। महिलाओं के खातों में नियमित बचत और सरकारी योजनाओं की सीधी मदद ने उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत की है।
विश्व बैंक ने भी की थी सराहना
विश्व बैंक और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ भी इस योजना की सराहना कर चुकी हैं। इसे दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन योजना कहा गया है।
आगे का रोडमैप
सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में इन खातों को और अधिक डिजिटल सेवाओं से जोड़ा जाए, ताकि हर नागरिक डिजिटल अर्थव्यवस्था का हिस्सा बन सके।
पीएम मोदी ने कहा, “जब हर नागरिक वित्तीय रूप से सशक्त होगा, तभी वसुधैव कुटुंबकम और आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा।”