रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) से पारंपरिक और भविष्य की राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी-उन्मुख बल बनने का आह्वान किया। तटरक्षक कमांडरों के सम्मेलन में उन्होंने कहा कि सरकार एक आत्मनिर्भर तटरक्षक बल बनाने को लेकर प्रतिबद्ध है। रक्षा मंत्री ने आईसीजी को भारत की अग्रणी ताकत बताते हुए कहा कि वह देश के विशाल समुद्र तट की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। देश को आंतरिक आपदाओं से बचाने में भी योगदान है। रक्षा मंत्री ने आज के अप्रत्याशित समय में पारंपरिक और उभरते खतरों से निपटने के लिए मानव प्रधान बल से प्रौद्योगिकी-उन्मुख बल की ओर बढ़ने की आवश्यकता पर जोर दिया। ह ने कहा, दुनिया तकनीकी क्रांति के दौर से गुजर रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम टेक्नोलॉजी और ड्रोन के इस दौर में सुरक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने कहा, मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति को देखते हुए भविष्य में समुद्री खतरे बढ़ेंगे। हमें सतर्क और तैयार रहने की जरूरत है। सिंह ने कहा कि मानव शक्ति का महत्व हमेशा बना रहेगा, लेकिन दुनिया हमें तकनीक प्रधान तटरक्षक के रूप में जाने। सिंह ने जहां नवीनतम प्रौद्योगिकी को शामिल करने के सकारात्म्क पक्ष पर जोर दिया, वहीं उन्होंने कमांडरों को इसके नकारात्मक पक्ष से सावधान रहने के लिए कहा।रक्षा मंत्री ने स्वदेशी प्लेटफार्म और उपकरणों के साथ सशस्त्र बलों और आईसीजी को सशक्त करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि भारतीय शिपयार्ड में आईसीजी के लिए 4,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत के 31 जहाज बनाए जा रहे हैं।