Wednesday, September 10, 2025

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सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक सरकार का बयान: ‘राष्ट्रपति और राज्यपाल नाममात्र के प्रमुख’

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय में सोमवार को चली सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार ने बड़ा बयान दिया। राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि भारत के संवैधानिक ढांचे में राष्ट्रपति और राज्यपाल को केवल नाममात्र का प्रमुख माना गया है। असल कार्यकारी शक्ति मंत्रिपरिषद और मुख्यमंत्री/प्रधानमंत्री के पास निहित है।
यह टिप्पणी उस मामले की सुनवाई के दौरान सामने आई, जिसमें राज्यपाल और राज्य सरकार के अधिकारों को लेकर विवाद खड़ा हुआ है। अदालत के समक्ष पेश हुए कर्नाटक सरकार के वरिष्ठ वकील ने कहा कि संविधान की मूल भावना यही है कि राष्ट्रपति और राज्यपाल संवैधानिक प्रमुख तो हैं, लेकिन वे अपने विवेक से शासन नहीं चला सकते। उन्हें मंत्रिपरिषद की सलाह और निर्णयों का पालन करना पड़ता है।
वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अनुच्छेद 74 और अनुच्छेद 163 में इस बात को स्पष्ट किया गया है कि राष्ट्रपति और राज्यपाल, क्रमशः प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद की सलाह के आधार पर ही काम करेंगे। यदि वे अपने विवेक से फैसले लेने लगें तो लोकतांत्रिक ढांचा प्रभावित हो सकता है।

इस पर अदालत ने भी सवाल उठाते हुए कहा कि कई बार राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच टकराव की स्थिति देखने को मिलती है। ऐसे में यह स्पष्ट होना जरूरी है कि संवैधानिक जिम्मेदारी किसकी है। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि इस मुद्दे पर विस्तृत व्याख्या आवश्यक है ताकि भविष्य में राज्यों और राज्यपालों के बीच अधिकारों को लेकर विवाद न खड़ा हो।
गौरतलब है कि हाल के वर्षों में कई राज्यों में राज्यपाल और निर्वाचित सरकारों के बीच मतभेद बढ़े हैं। विधेयकों को मंजूरी देने से लेकर विधानसभा सत्र बुलाने तक, कई मामलों में टकराव सामने आया है। कर्नाटक का यह बयान इसी पृष्ठभूमि में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट इस मामले में आगे की सुनवाई आने वाले हफ्तों में करेगा, जिसके बाद राष्ट्रपति और राज्यपाल की भूमिका पर बड़ा कानूनी मार्गदर्शन सामने आ सकता है।

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