अल्मोड़ा।
दक्षिण भारतीय सिनेमा के महानायक और ‘थलाइवा’ के नाम से मशहूर सुपरस्टार रजनीकांत एक बार फिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद के द्वाराहाट पहुंचे। अपनी गहरी आध्यात्मिक आस्था के लिए प्रसिद्ध रजनीकांत इस बार भी पांडवखोली की पहाड़ी चोटी पर स्थित महावतार बाबा की पवित्र गुफा में पहुंचे और वहां ध्यान साधना में लीन हो गए।
रजनीकांत की यह यात्रा पूरी तरह आध्यात्मिक रही। बताया जा रहा है कि उन्होंने गुफा में कुछ समय तक मौन रहकर ध्यान किया और एकांत में अपने गुरु परमहंस योगानंद की शिक्षाओं का स्मरण किया। शांत, दिव्य और प्राकृतिक सौंदर्य से घिरी पांडवखोली गुफा में थलाइवा के आगमन से स्थानीय श्रद्धालु भी उत्साहित दिखे।
यह पहली बार नहीं है जब रजनीकांत ने इस स्थान की यात्रा की हो। वर्ष 2002 में उन्होंने पहली बार पांडवखोली की गुफा में साधना की थी, जिसके बाद यह स्थान उनके लिए श्रद्धा का केंद्र बन गया। कहा जाता है कि उस यात्रा के बाद उनकी फिल्म ‘काला’ को जबरदस्त सफलता मिली थी। तब से रजनीकांत समय-समय पर यहां आते रहे हैं।
वर्ष 2019 में भी वे यहां पहुंचे थे, जब उन्होंने अपनी फिल्म ‘दरबार’ की सफलता के लिए ध्यान साधना की थी। रजनीकांत की मान्यता है कि पांडवखोली की गुफा में साधना से आत्मिक शांति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
गौरतलब है कि महावतार बाबा की यह गुफा उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट से लगभग आठ किलोमीटर दूर स्थित है। कहा जाता है कि इसी स्थान पर परमहंस योगानंद को महावतार बाबा के दिव्य दर्शन हुए थे। आज भी यह गुफा आध्यात्मिक साधकों और योगानंद के अनुयायियों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र मानी जाती है।
रजनीकांत का यह आध्यात्मिक रुख एक बार फिर यह दर्शाता है कि सफलता के शिखर पर पहुंचने के बाद भी वे अपनी जड़ों और साधना से जुड़े हुए हैं।
सुपरस्टार रजनीकांत की आस्था का केंद्र: द्वाराहाट की पांडवखोली गुफा में फिर साधना में लीन हुए थलाइवा





