नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत अपने मजबूत समुद्री ढांचे, लंबी तटरेखा और आधुनिक बंदरगाहों के बल पर 2047 तक वैश्विक समुद्री नेतृत्व हासिल करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि देश अब “विजन 2047” के साथ समुद्री क्षेत्र में पुनर्जागरण के दौर से गुजर रहा है, और यही भारत को “ग्लोबल लीडर” बनाएगा।
प्रधानमंत्री ने यह विचार इंडिया मैरीटाइम वीक-2025 में भाग लेने के बाद लिंक्डइन पर साझा पोस्ट के माध्यम से रखे। उन्होंने भारत के समुद्री क्षेत्र को निवेश का आदर्श केंद्र बताते हुए कहा, “हमारे पास लंबी तटरेखा, विश्वस्तरीय बंदरगाह, उत्कृष्ट बुनियादी ढांचा, नवाचार और स्पष्ट नीतियां हैं। भारत अब निवेश का परफेक्ट हार्बर बन चुका है।”
उन्होंने वैश्विक निवेशकों को आमंत्रित करते हुए कहा कि भारत में शिप बिल्डिंग, बंदरगाह संचालन, लॉजिस्टिक्स और तटीय शिपिंग जैसे क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि 7,500 किलोमीटर से अधिक लंबी तटरेखा और प्रतिस्पर्धी बंदरगाहों के नेटवर्क के साथ भारत तेजी से एक प्रमुख समुद्री केंद्र के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि “यह सिर्फ कनेक्टिविटी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि मूल्यवर्धित सेवाएं, हरित शिपिंग पहल और उद्योग-अनुकूल नीतिगत ढांचा भी प्रदान करेगा।”
पिछले एक दशक में उठाए गए सुधारात्मक कदमों ने देश के समुद्री क्षेत्र की तस्वीर बदल दी है।
समुद्री क्षेत्र में अब तक की प्रमुख उपलब्धियां
• क्षमता में दोगुनी बढ़ोतरी: प्रमुख बंदरगाहों की क्षमता बढ़कर 276.2 करोड़ टन प्रतिवर्ष हो गई है।
• दक्षता में सुधार: जहाजों के टर्नअराउंड टाइम को 93 घंटे से घटाकर 48 घंटे कर दिया गया है। आज भारत के बंदरगाह कई मामलों में विकसित देशों से भी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।
• कानूनी सुधार: औपनिवेशिक नौवहन कानूनों को हटाकर 21वीं सदी के अनुरूप नए, आधुनिक और भविष्योन्मुखी कानून लागू किए गए हैं।
• नाविकों की बढ़ती संख्या: भारतीय नाविक कार्यबल 1.25 लाख से बढ़कर 3 लाख से अधिक हो गया है। भारत अब प्रशिक्षित नाविकों का तीसरा सबसे बड़ा वैश्विक आपूर्तिकर्ता बन चुका है।
‘सागर से महासागर’ तक भारत का दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का समुद्री विजन “सागर से महासागर” की ओर अग्रसर है, जो सुरक्षा, स्थिरता और आत्मनिर्भरता के तीन स्तंभों पर आधारित है।
विजन के चार प्रमुख आयाम
1. ऐतिहासिक निवेश पैकेज: सरकार ने जहाज निर्माण और समुद्री तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए ₹69,725 करोड़ के पैकेज को मंजूरी दी है।
2. नए बंदरगाहों का विकास: भारत का पहला डीप वाटर इंटरनेशनल ट्रांसशिपमेंट हब—विजिंजम पोर्ट—संचालन में आ चुका है, जिसने दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर वेसल का स्वागत किया।
3. हरित ऊर्जा की दिशा में कदम: विशाखापत्तनम बंदरगाह पर मेगावाट स्केल ग्रीन हाइड्रोजन फैसिलिटी की शुरुआत की गई है।
4. वैश्विक संपर्क का विस्तार: इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर जैसी परियोजनाएं भारत को वैश्विक व्यापार का स्थिर और विश्वसनीय केंद्र बना रही हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि “भारत का समुद्री क्षेत्र आज न सिर्फ आर्थिक विकास का माध्यम है, बल्कि यह हमारे आत्मनिर्भर भारत के सपने का भी महत्वपूर्ण स्तंभ बन चुका है। आने वाले वर्षों में विजन 2047 के तहत भारत वैश्विक समुद्री नेतृत्व की दिशा में अग्रसर रहेगा।”





