रियाद: सऊदी अरब ने आधुनिक गुलामी के समान माने जाने वाले कफाला सिस्टम को समाप्त करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इस कदम से भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, फिलीपिंस और नेपाल सहित अन्य देशों के लाखों प्रवासी मजदूरों के जीवन और अधिकारों में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है।
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इसका वास्तविक लाभ केवल उन्हीं मजदूरों को मिलेगा, जो मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसोर्सेज एंड सोशल डेवलपमेंट के ई-प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत हैं और जिनके पास डिजिटल वर्क कॉन्ट्रैक्ट मौजूद है।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने सराहा, लेकिन सख्ती पर दी चेतावनी
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने सऊदी अरब के निर्णय को ऐतिहासिक बताया है। संगठन ने चेताया कि नीति तभी प्रभावी होगी जब इसे जमीनी स्तर पर सख्ती से लागू किया जाए। मानवाधिकार समूह ह्यूमन राइट्स वॉच ने भी इस पहल की सराहना की, लेकिन कहा कि कई निजी कंपनियां अब भी पुरानी मानसिकता से मजदूरों को काम पर रख सकती हैं। इसलिए निरीक्षण तंत्र की मजबूती बेहद जरूरी है।
कफाला प्रणाली: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और मजदूरों पर प्रभाव
कफाला सिस्टम सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों में 1950 के दशक से लागू था। इसके तहत किसी विदेशी मजदूर को नौकरी पाने और देश में रहने के लिए स्थानीय स्पॉन्सर (कफील) की अनुमति लेनी पड़ती थी। कफील ही मजदूर का पासपोर्ट, रेजिडेंसी परमिट और नौकरी बदलने की अनुमति नियंत्रित करता था। इस व्यवस्था के कारण मजदूर अपने नियोक्ता की मर्जी के बिना न तो नौकरी छोड़ सकते थे और न ही देश से बाहर जा सकते थे। परिणामस्वरूप लाखों प्रवासी मजदूर शोषण, वेतन रुकावट और दुर्व्यवहार के शिकार होते रहे।
अन्य खाड़ी देशों पर असर और क्षेत्रीय संभावनाएं
सऊदी अरब के इस कदम से उम्मीद जताई जा रही है कि कुवैत और ओमान भी समान दिशा में आगे बढ़ेंगे। उल्लेखनीय है कि खाड़ी देशों में लगभग 3 करोड़ प्रवासी मजदूर हैं, जिनमें दक्षिण एशियाई देशों के मजदूरों का हिस्सा 60 प्रतिशत से अधिक है।
वैश्विक मानकों की दिशा में बड़ा मोड़
कफाला सिस्टम का अंत न केवल प्रवासी मजदूरों के अधिकारों के लिए ऐतिहासिक है, बल्कि यह सऊदी अरब की वैश्विक मानवाधिकार मानकों के प्रति प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। इससे क्षेत्र के श्रम बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी और प्रतिस्पर्धा को भी लाभ होगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव तभी सार्थक होगा जब स्थानीय नियोक्ता और प्रशासन दोनों ईमानदारी से सुधारों को लागू करें। निरीक्षण तंत्र को मजबूत किए बिना प्रवासी मजदूरों को पूर्ण सुरक्षा और अधिकार सुनिश्चित करना संभव नहीं होगा।
सऊदी अरब में कफाला प्रणाली का अंत: भारत-पाकिस्तान समेत लाखों प्रवासी मजदूरों को मिलेगा लाभ


