देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य की जनसांख्यिकीय संरचना (Demography) को संतुलित बनाए रखने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान को सुरक्षित रखना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इस दिशा में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने मंगलवार को सचिवालय में वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में कहा कि सीमांत और पहाड़ी जिलों में तेजी से बदलते जनसंख्या अनुपात को लेकर प्रशासन सतर्क रहे। उन्होंने कहा कि कुछ इलाकों में जनसंख्या का असंतुलन स्थानीय संस्कृति, सामाजिक ढांचे और सुरक्षा दृष्टि से चिंता का विषय बनता जा रहा है। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को स्पष्ट रूप से निर्देश दिए कि जनसंख्या परिवर्तन, अवैध बसावट और बाहरी लोगों के संदिग्ध निवास मामलों की सख्ती से जांच की जाए।
धामी ने कहा कि राज्य सरकार पहले ही समान नागरिक संहिता (UCC) लागू कर चुकी है, जो सामाजिक संतुलन की दिशा में एक बड़ा कदम है। अब प्रशासन की जिम्मेदारी है कि कानूनों का पालन पूरी निष्पक्षता और कठोरता से हो। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा, “कानून व्यवस्था से समझौता करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी, चाहे वे किसी भी पद पर हों।”
मुख्यमंत्री ने सभी जिलों से कहा कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में जनसंख्या सर्वेक्षण, भूमि उपयोग की निगरानी और संदिग्ध प्रवासियों की पहचान से जुड़े डेटा नियमित रूप से तैयार करें और सरकार को रिपोर्ट भेजें। साथ ही उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में पुलिस की चौकसी बढ़ाने के भी निर्देश दिए।
बैठक में मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उत्तराखंड की पहचान शांति, आध्यात्मिकता और संस्कृति से जुड़ी है। “हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि विकास के साथ-साथ राज्य की मौलिक जनसांख्यिकीय और सांस्कृतिक संरचना सुरक्षित रहे,” उन्होंने कहा।
बैठक में मुख्य सचिव, गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि वे इस दिशा में ठोस और दीर्घकालिक कार्ययोजना बनाएं ताकि राज्य की पहचान और सामाजिक संतुलन को किसी भी प्रकार का खतरा न पहुंचे।


