ढाका।
बांग्लादेश में राजनीतिक और सामाजिक हालात को लेकर एक ताज़ा रिपोर्ट ने गंभीर आशंकाएं जताई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, नोबेल पुरस्कार विजेता और वर्तमान में बांग्लादेश की सत्ता पर प्रभाव रखने वाले डॉ. मोहम्मद यूनुस की नीतियाँ देश के लोकतंत्र और सामाजिक स्थिरता पर नकारात्मक असर डाल सकती हैं।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यूनुस के नेतृत्व में लागू की जा रही नीतियाँ लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रही हैं। इन्हें दमनकारी और असहमति को दबाने वाली बताया गया है। विश्लेषकों का कहना है कि यदि यही रुख जारी रहा तो आने वाले दिनों में बांग्लादेश राजनीतिक अस्थिरता और जनाक्रोश का गवाह बन सकता है।
सूत्रों के अनुसार, कई संगठनों और विपक्षी दलों ने पहले ही यूनुस सरकार की कार्यशैली को लेकर आपत्ति दर्ज कराई है। खासतौर पर मानवाधिकार उल्लंघन, विपक्षी नेताओं पर कार्रवाई और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक जैसे मुद्दों ने विवाद को जन्म दिया है।
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि यदि हालात पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो देश में व्यापक प्रदर्शन और विरोध आंदोलनों का सिलसिला शुरू हो सकता है। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भरोसा भी डगमगा सकता है, जिससे विदेशी निवेश और आर्थिक सुधारों पर सीधा असर पड़ेगा।
गौरतलब है कि यूनुस, जिन्हें गरीबों को माइक्रो फाइनेंस उपलब्ध कराने के लिए विश्व स्तर पर सम्मान मिला, पिछले कुछ समय से राजनीति में भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। हालांकि, उनके विरोधियों का कहना है कि यूनुस का राजनीतिक चेहरा उनके सामाजिक कार्यों से बिल्कुल अलग है और उनके फैसले लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश में स्थिरता तभी संभव है जब सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच संवाद बहाल हो और दमन की जगह लोकतांत्रिक मूल्यों को प्राथमिकता दी जाए।