यूक्रेन और रूस के बीच चल रहा युद्ध एक बार फिर ऊर्जा युद्ध के नए चरण में प्रवेश करता दिख रहा है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने दावा किया है कि हाल ही में किए गए मिसाइल और ड्रोन हमलों से रूस के कई गैस भंडारण और आपूर्ति केंद्रों को गंभीर क्षति पहुंची है। उनके अनुसार, इन हमलों के बाद रूस में गैस की भारी कमी दर्ज की गई है, जिससे ऊर्जा वितरण व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गई है।
“रूस को अपनी ही ऊर्जा नीति का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है” — जेलेंस्की
राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अपने संबोधन में कहा,
“यूक्रेन ने हाल के दिनों में जिन रणनीतिक लक्ष्यों पर कार्रवाई की है, वे रूस की आक्रामक नीतियों का सीधा जवाब हैं। हमारे ड्रोन और मिसाइल हमलों ने उन ठिकानों को निशाना बनाया, जहां से रूस यूरोप और एशिया के लिए गैस आपूर्ति करता है। इससे रूस की ऊर्जा प्रणाली पर बड़ा असर पड़ा है।”
उन्होंने कहा कि रूस ने वर्षों तक ऊर्जा को राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया, लेकिन अब वही हथियार उसके खिलाफ काम कर रहा है। जेलेंस्की के अनुसार, रूस को अब “अपने ही बनाए संकट का सामना” करना पड़ रहा है।
मॉस्को की सफाई — ‘हमले से आपूर्ति प्रभावित नहीं’
दूसरी ओर, रूसी ऊर्जा मंत्रालय ने यूक्रेनी दावे को पूरी तरह खारिज किया है। मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि गैस भंडारण केंद्रों में मामूली क्षति हुई है, लेकिन देश की घरेलू और निर्यात आपूर्ति सामान्य रूप से जारी है।
रूस की सरकारी गैस कंपनी गज़प्रोम ने भी बयान जारी कर कहा कि उनकी प्रमुख पाइपलाइनें और गैस संयंत्र सुरक्षित हैं। हालांकि, स्वतंत्र सूत्रों का कहना है कि कुछ इलाकों में गैस प्रेशर कम होने की शिकायतें सामने आई हैं, जिससे घरेलू आपूर्ति पर अस्थायी असर पड़ा है।
डोनबास और बेलगोरोद में भारी हमले
रूसी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पिछले तीन दिनों में यूक्रेनी ड्रोन और रॉकेटों ने बेलगोरोद, कुर्स्क और डोनबास क्षेत्र में कई ठिकानों को निशाना बनाया।
• बेलगोरोद में एक गैस प्रोसेसिंग यूनिट में भीषण आग लगी, जिसे नियंत्रित करने में दमकल कर्मियों को कई घंटे लगे।
• कुर्स्क के पास गैस पाइपलाइन के एक हिस्से में विस्फोट हुआ, जिससे आपूर्ति कुछ समय के लिए बाधित रही।
रूसी सुरक्षा एजेंसियों ने कहा कि सभी घटनाओं की जांच की जा रही है और आवश्यक मरम्मत कार्य युद्धस्तर पर जारी है।
यूरोप पर भी असर की आशंका
विश्लेषकों का कहना है कि यदि रूस की गैस आपूर्ति व्यवस्था पर लगातार हमले होते रहे तो इसका असर यूरोप के ऊर्जा बाजार पर भी पड़ सकता है।
यूरोपीय ऊर्जा विशेषज्ञों के अनुसार, रूस की गैस आपूर्ति में थोड़ी भी कमी आने से प्राकृतिक गैस की वैश्विक कीमतों में इजाफा हो सकता है, जो पहले से अस्थिर आर्थिक परिस्थितियों को और चुनौतीपूर्ण बना देगा।
यूक्रेन का दावा — “हमने ऊर्जा युद्ध जीता”
यूक्रेनी रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह अभियान रूस की सैन्य और आर्थिक क्षमता को कमजोर करने के उद्देश्य से चलाया जा रहा है।
“हमारे मिसाइल सिस्टम और ड्रोन अब रूसी सीमा के अंदर गहराई तक पहुंच सकते हैं। यह युद्ध केवल मोर्चे पर नहीं, बल्कि ऊर्जा और अर्थव्यवस्था के स्तर पर भी लड़ा जा रहा है।”
विश्लेषण — युद्ध के नए मोर्चे पर टकराव
विशेषज्ञों के मुताबिक, यह घटना दर्शाती है कि यूक्रेन अब रूस के आर्थिक तंत्र को सीधे निशाने पर ले रहा है। जहां पहले ध्यान केवल सैन्य ठिकानों पर था, वहीं अब ऊर्जा ढांचे और औद्योगिक प्रतिष्ठानों को भी निशाना बनाया जा रहा है।
यह रणनीति रूस की दीर्घकालिक ऊर्जा क्षमता पर गहरा असर डाल सकती है और आने वाले महीनों में युद्ध के आर्थिक स्वरूप को पूरी तरह बदल सकती है।
यूक्रेन के ताजा दावे ने रूस-यूक्रेन युद्ध को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया है। जहां एक ओर कीव इसे अपनी “रणनीतिक जीत” बता रहा है, वहीं मॉस्को इसे “प्रचार युद्ध” करार दे रहा है। लेकिन इतना तय है कि इस संघर्ष ने अब ऊर्जा सुरक्षा को वैश्विक चिंता का विषय बना दिया है।


