दक्षिण कोरिया के महाभियोग का सामना कर रहे राष्ट्रपति यून सुक येओल की लगातार मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने येओल को औपचारिक रूप से गिरफ्तार करने के लिए अदालत से वारंट का अनुरोध किया है। इसी पर आज अदालत में सुनवाई होगी। यून को बुधवार को उनके निवास से हिरासत में लिया गया था। तबसे वह अधिकारियों की हिरासत में हैं। उन पर पिछले साल तीन दिसंबर को मार्शल लॉ लागू करने के लिए देश में विद्रोह कराने का आरोप है, जो 1980 के दशक के अंत में दक्षिण कोरिया के लोकतंत्रीकरण के बाद का सबसे गंभीर राजनीतिक संकट था।इस मामले की भ्रष्टाचार जांच एजेंसी (सीआईओ) और पुलिस तथा सेना द्वारा संयुक्त रूप से जांच की जा रही है। उन्होंने सियोल के पश्चिमी जिला अदालत से यून की गिरफ्तारी का वारंट मांगा है। हालांकि, उम्मीद जताई जा रही है कि यून यह तर्क देंगे कि जांच के दौरान उन्हें हिरासत में रखने की कोई आवश्यकता नहीं है। अदालत का फैसला शनिवार शाम या रविवार सुबह तक आ सकता है।सुक येओल की ओर से तीन दिसंबर को मार्शल लॉ के एलान ने दक्षिण कोरियाई लोगों आश्चर्य में डाल दिया था। इस घोषणा के बाद देशभर में आक्रोश देखने को मिला। हालांकि, मार्शल लॉ केवल कुछ घंटे तक ही लागू रहा, लेकिन इसने देश की राजनीति, कूटनीति और वित्तीय बाजार में हलचल मचा दी थी। इसके बाद एशिया के सबसे जीवंत लोकतंत्रों में से एक दक्षिण कोरिया ने अचानक से अभूतपूर्व राजनीतिक उथल-पुथल का दौर देखा। इसके बाद 14 दिसंबर को सांसदों ने उन पर महाभियोग चलाने और उन्हें पद से हटाने के लिए मतदान किया।
इसके बाद सियोल पश्चिमी जिला न्यायालय ने 31 दिसंबर को यून सुक येओल को हिरासत में लेने का वारंट जारी किया था, क्योंकि वह पूछताछ के लिए जांच अधिकारियों के समक्ष पेश नहीं हो रहे थे। जब जांच एजेंसी और पुलिस यून को गिरफ्तार करने पहुंची तो उनके समर्थक और राष्ट्रपति सुरक्षा सेवा ने विरोध किया था। इस दौरान यून के वकीलों ने एक कानून का हवाला देते हुए कहा था कि भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी के पास विद्रोह के आरोपों की जांच करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।