Monday, June 30, 2025

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महाभियोग का सामना कर रहे राष्ट्रपति यून सुक येओल को झटका

दक्षिण कोरिया की एक अदालत ने महाभियोग का सामना कर रहे राष्ट्रपति यून सुक येओल की रिहाई की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। उनके वकीलों ने आज यह याचिका दायर की थी। सुक येओल को बुधवार को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था। उन पर पिछले महीने मार्शल लॉ लगाकर देश में विद्रोह कराने का आरोप है।  सुक येओल से बुधवार को दस घंटे से ज्यादा समय तक पूछताछ की गई । इसके बाद उन्हें सिओल के पास एक हिरासत केंद्र में भेजा गया। पूछताछ के दौरान उन्होंने अपने ‘चुप रहने के अधिकार’ का उपयोग किया और गुरुवार को अधिकांश सवालों के जवाब देने से इनकार कर दिया। उनके वकीलों का कहना है कि यह जांच गैरकानूनी है।वकीलों ने सियोल केंद्रीय जिला अदालत से आग्रह किया था कि वह सुक येओल की रिहाई पर विचार पर करे। इसके अलावा, सुक येओल के खिलफ जारी किए गए गिरफ्तारी वारंट की वैधता को भी चुनौती दी गई थी। लेकिन अदालत ने गुरुवार देर शाम उनकी याचिका को खारिज कर दिया।

सुक येओल की ओर से 3 दिसंबर को मार्शल लॉ के एलान ने दक्षिण कोरियाई लोगों आश्चर्य में डाल दिया था। इस घोषणा के बाद देशभर में आक्रोश देखने को मिला। हालांकि, मार्शल लॉ केवल कुछ घंटे तक ही लागू रहा, लेकिन इसने देश की राजनीति, कूटनीति और वित्तीय बाजार में हलचल मचा दी। इसके बाद एशिया के सबसे जीवंत लोकतंत्रों में से एक दक्षिण कोरिया ने अचानक से अभूतपूर्व राजनीतिक उथल-पुथल का दौर देखा। इसके बाद 14 दिसंबर को सांसदों ने उन पर महाभियोग चलाने और उन्हें पद से हटाने के लिए मतदान किया।

इसके बाद सियोल पश्चिमी जिला न्यायालय ने 31 दिसंबर को यून सुक येओल को हिरासत में लेने का वारंट जारी किया था, क्योंकि वह पूछताछ के लिए जांच अधिकारियों के समक्ष पेश नहीं हो रहे थे। जब जांच एजेंसी और पुलिस यून को गिरफ्तार करने पहुंची तो उनके समर्थक और राष्ट्रपति सुरक्षा सेवा ने विरोध किया था। इस दौरान यून के वकीलों ने एक कानून का हवाला देते हुए कहा था कि भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी के पास विद्रोह के आरोपों की जांच करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।

 

 

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