चुनाव आयोग देशभर में मतदाता सूची से डुप्लिकेट नाम हटाने के अभियान में जुटा है। इस बीच, मंगलवार को सरकारी सूत्रों ने साफ किया कि मतदाताओं के लिए आधार नंबर देना पूरी तरह स्वैच्छिक रहेगा, और इसमें कानून के तहत कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। साथ ही ये भी बताया गया कि चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 के तहत, मतदाताओं द्वारा चुनाव अधिकारियों को आधार जानकारी देना जरूरी नहीं है, बल्कि यह उनकी मर्जी पर निर्भर करता है।
यह बयान तब आया जब कुछ लोगों ने पूछा कि क्या आधार साझा करना अनिवार्य किया जा सकता है और अगर कोई मतदाता जानकारी नहीं देता तो क्या उसे कारण बताना होगा। इस सवाल के जवाब में सूत्रों का कहना है कि अभी तक ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है, और न ही किसी नए नियम को जोड़ने की योजना है। बता दें कि इस मुद्दे पर जारी बहस के बीच चुनाव आयोग पहले ही कह चुका है कि वह जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिकारियों के साथ समन्वय कर मतदाता सूची को नियमित रूप से अपडेट करेगा।
इसके अलावा UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) और चुनाव आयोग के तकनीकी विशेषज्ञों के बीच मतदाता सूची और आधार लिंक करने को लेकर विचार-विमर्श जल्द शुरू होगा। हालांकि, आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि एक मतदाता केवल उसी मतदान केंद्र में वोट डाल सकता है, जहां उसका नाम दर्ज है। मतदाता सूची से डुप्लिकेट नाम हटाने को लेकर चुनाव आयोग का लक्ष्य है कि देशभर में डुप्लिकेट वोटर लिस्ट की समस्या को तीन महीने में खत्म किया जाए।
मौजूदा कानून के अनुसार अगर कोई मतदाता किसी उचित कारण से आधार नंबर नहीं दे पाता, तो उसकी मतदाता सूची से प्रविष्टि नहीं हटाई जा सकती। इस तरह, मतदाता सूची को साफ-सुथरा और सही बनाने की प्रक्रिया तेज की जा रही है, लेकिन आधार साझा करना पूरी तरह स्वैच्छिक बना रहेगा।