उत्तराखंड में मतदान प्रतिशत 75 का लक्ष्य हासिल करने के लिए चुनाव आयोग पहली बार टिप यानी टर्न आउट इंप्लीमेंटेशन प्लान लागू किया है।
इसके तहत टिप मॉनिटरिंग कमेटी राज्य और जिलों के स्तर पर बनाई गई है। जो रोजाना की रिपोर्ट देगी।
दरअसल, आज भी कई जिले ऐसे हैं, जहां मतदान प्रतिशत 55 से ऊपर नहीं जा पा रहा है। लिहाजा, अपर सचिव ग्राम्य विकास के नेतृत्व में बनाई गई टिप मॉनिटरिंग कमेटी इस दिशा में काम कर रही है। हर जिले में मुख्य विकास अधिकारी को टिप का जिला समन्वयक बनाया गया है।
मकसद ये है कि हर बूथ स्तर तक मतदाताओं को मतदान के लिए लेकर आएं। चूंकि मुख्य विकास अधिकारी के पास गांव-गांव तक पहुंच का सबसे मजबूत नेटवर्क होता है। इसलिए कहीं न कहीं चुनाव आयोग इस माध्यम से मतदाताओं तक पहुंच सकता है। हर बूथ की बूथ स्तरीय कार्ययोजना भी बनाई गई है। जो कम मतदान वाले बूथ रहे हैं, वहां के लिए अलग से योजना बनाई गई है। रोजाना इसकी निगरानी करते हुए चुनाव आयोग रिपोर्ट ले रहा है।
2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश के पांच जिले ऐसे थे, जिनमें 55 प्रतिशत से कम मतदान हुआ है। प्रदेश में कुल 61.50 मतदान हुआ था लेकिन रुद्रप्रयाग में 54.21 प्रतिशत, टिहरी गढ़वाल में 49.32 प्रतिशत, पौड़ी गढ़वाल में 50.88 प्रतिशत, पिथौरागढ़ में 52.09 प्रतिशत और अल्मोड़ा जिले में 47.75 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस मतदान प्रतिशत को बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।