तवांग (अरुणाचल प्रदेश) — देश-हित के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले 1962 के युद्ध के नायकों में एक है Subedar Joginder Singh PVC। हाल ही में तवांग में उनकी वीरगाथा का स्मरण किया गया, जहाँ “शहीद Joginder Singh अमर रहें” का करारा नारा गुंजा।
घटना का विवरण
Bum La Pass पर 23 अक्टूबर 1962 को हुए उस भयंकर मुकाबले में, जहाँ Joginder Singh ने अपने एक प्लाटून के साथ चीनी हमले का सामना किया था, आज भी उनकी बहादुरी को सैनिक और नागरिक समान रूप से याद करते हैं।
– कहा जाता है कि जब उनकी इकाई के पास गोलियाँ समाप्त हो गई थीं, तब उन्होंने अपने साथियों के साथ बयानों से लैस होकर विरोधी को रोका।
– इस साल तवांग में सैनिकों, स्थानीय नागरिकों व प्रशासन ने मिलकर एक श्रद्धा-सभा आयोजित की, जिसमें Joginder Singh की स्मृति को सम्मानित किया गया और युद्धगाथा को स्थानीय युवाओं तक पहुँचाने पर जोर दिया गया।
significance और संदेश
इसे सिर्फ एक युद्ध-सम्मेलन के रूप में नहीं देखा जा रहा, बल्कि यह उस कठिन परिदृश्य की याद दिलाने वाला है जिसमें भारत ने चुनौती स्वीकार की थी। Joginder Singh की वीरता निम्न बातों को उजागर करती है:
- सीमाई इलाकों में देश-सेवा का मूल्य और दृढ़ संकल्प।
- कठिन भौगोलिक और शीत-परिस्थिति में राष्ट्रीय सुरक्षा का महत्व।
- उस समय की चुनौतियों के बावजूद ‘हार नहीं मानने’ वाली मानसिकता।
स्थानीय-स्तर की प्रतिक्रिया
तवांग में मौजूद युवाओं ने कहा कि उन्होंने स्कूल-कलाओं में इस वीर की गाथा सुनना शुरू कर दिया है। स्थानीय प्रशासन ने स्मारक जमीनी स्तर पर सुदृढ़ करने, युद्धस्थल की यात्रा-संभवना, तथा यादगार कार्यक्रमों को बढ़ावा देने की योजना बनाई है।
आगे क्या?
– प्रशासन ने प्रस्तावित किया है कि तवांग सहित अन्य पूर्वी सीमाई जिलों में इस तरह के वीर स्मरण- दिवस स्थायी रूप से मनाए जाएँ।
– स्थानीय-युद्ध संग्रहालय में Joginder Singh की कहानी को इंटरेक्टिव तरीके से पेश करने की योजना है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ प्रेरित हों।
– शिक्षा संस्थानों को निर्देश दिए गए हैं कि युद्ध-गाथाओं को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए ताकि देश-भक्ति और रक्षा-बोध को बढ़ावा मिले।





