नई दिल्ली। देश में शिक्षा के क्षेत्र से एक सुखद खबर आई है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत की साक्षरता दर अब बढ़कर 80.9 प्रतिशत तक पहुंच गई है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को यह जानकारी दी और कहा कि यह उपलब्धि केंद्र और राज्यों के साझा प्रयासों का परिणाम है।
प्रधान ने कहा कि साक्षरता दर में हुई इस बढ़ोतरी के पीछे कई राज्यों का विशेष योगदान है, जिन्होंने प्राथमिक और वयस्क शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय पहल की है। उन्होंने बताया कि केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों ने शिक्षा के प्रसार और लोगों को स्कूलों से जोड़ने में मिसाल पेश की है। इन राज्यों में न केवल स्कूली नामांकन बढ़ा है, बल्कि ड्रॉपआउट दर भी कम हुई है।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी स्वीकार किया कि कुछ पिछड़े राज्यों में साक्षरता दर अभी भी राष्ट्रीय औसत से नीचे है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और राजस्थान जैसे राज्यों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए केंद्र सरकार ने नई योजनाएं तैयार की हैं, जिनके तहत डिजिटल शिक्षा, पुस्तकालय सुविधाएं, और वयस्क शिक्षा केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
प्रधान ने कहा, “शिक्षा ही किसी भी देश की प्रगति की असली कुंजी है। साक्षरता दर में बढ़ोतरी बताती है कि भारत तेजी से ज्ञान आधारित समाज की ओर बढ़ रहा है। अब हमारा लक्ष्य है कि अगले कुछ वर्षों में साक्षरता दर को 90 प्रतिशत से ऊपर ले जाया जाए।”
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार की ‘नवभारत शिक्षा अभियान’, डिजिटल शिक्षा कार्यक्रम और ‘सब पढ़ें-सब बढ़ें’ जैसी पहल का असर अब जमीन पर दिखने लगा है। ग्रामीण इलाकों में सामुदायिक पुस्तकालयों और मोबाइल स्कूलों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
साक्षरता दर में हुई इस बढ़ोतरी से देश की आर्थिक प्रगति, महिलाओं के सशक्तिकरण और रोजगार के अवसरों पर भी सकारात्मक असर पड़ने की उम्मीद जताई जा रही है।