Saturday, November 15, 2025

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भारत और ऑस्ट्रेलिया ने रक्षा समझौतों पर किए हस्ताक्षर

कैनबरा/नई दिल्ली, 9 अक्टूबर।
भारत और ऑस्ट्रेलिया ने अपने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और ऑस्ट्रेलिया के उप-प्रधानमंत्री एवं रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स उपस्थित रहे। यह समझौते दोनों देशों के बीच साझा सुरक्षा हितों और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा एवं समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए किए गए हैं।

 

राजनाथ सिंह की ऑस्ट्रेलिया यात्रा और कार्यक्रम

राजनाथ सिंह दो दिवसीय दौरे के तहत बीते दिन सिडनी पहुंचे थे। इसके बाद उन्होंने कैनबरा में अपने कार्यक्रमों के तहत ऑस्ट्रेलियाई रक्षा और रणनीतिक अधिकारियों से मुलाकात की। हवाई अड्डे पर उन्हें ऑस्ट्रेलिया के सहायक रक्षा मंत्री पीटर खलील और संयुक्त अभियान प्रमुख वाइस एडमिरल जस्टिन जोन्स ने स्वागत किया।

राजनाथ सिंह ने कैनबरा स्थित ऑस्ट्रेलियाई संसद भवन में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज और उप-प्रधानमंत्री एवं रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स के साथ बैठक की। इस बैठक में दोनों देशों के वरिष्ठ रक्षा अधिकारी भी शामिल रहे।

 

हस्ताक्षरित समझौतों की अहमियत

ऑस्ट्रेलियाई उप-प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स ने समझौतों की अहमियत को बताते हुए कहा,
“आज का दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों देशों के बीच गहरा विश्वास और रणनीतिक तालमेल अब परिचालन स्तर पर भी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। हमारे परिचालन कमांडों के बीच स्टाफ वार्ता के संदर्भ में किए गए समझौते अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और हमें इसे लेकर अत्यधिक उत्साह है।”

इसी क्रम में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने कहा,
“ऑस्ट्रेलिया और भारत की रक्षा साझेदारी लगातार मजबूत होती जा रही है। यह साझेदारी विश्वास, साझा हितों और शांतिपूर्ण, सुरक्षित एवं समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति प्रतिबद्धता पर आधारित है। भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ ऑस्ट्रेलिया-भारत रक्षा मंत्रियों की पहली वार्ता में उन्हें देखना बहुत खुशी की बात है।”

 

भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा संबंधों का विस्तार

पिछले कुछ वर्षों में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा संबंधों में काफी प्रगति हुई है। इसमें शामिल हैं:

  • सेनाओं के बीच नियमित संवाद और उच्च स्तरीय दौरे।
  • संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम और नौसेना अभ्यास।
  • समुद्री सुरक्षा एवं रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देना।

विशेषज्ञों का मानना है कि इन समझौतों से दोनों देशों के बीच सहयोग की नींव और मजबूत होगी, और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा के लिए सामूहिक प्रयासों को नई दिशा मिलेगी।

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