पटना। बिहार में इस बार विधानसभा चुनाव प्रक्रिया पहले की तुलना में काफी संक्षिप्त रहने वाली है। चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि आगामी विधानसभा चुनाव सिर्फ दो चरणों में संपन्न होंगे। इससे पहले राज्य में हुए अधिकांश चुनाव तीन से छह चरणों तक चले थे। आयोग के इस निर्णय को प्रशासनिक दृष्टि से एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।
राज्य में कुल 243 विधानसभा सीटों के लिए इस बार दो चरणों में मतदान कराया जाएगा। पहले चरण में सीमांचल और मिथिलांचल क्षेत्र की सीटों पर वोटिंग होगी, जबकि दूसरे चरण में मगध, भोजपुर और उत्तर बिहार के जिलों में मतदान संपन्न होगा। चुनाव आयोग के अनुसार, दो चरणों में मतदान कराना सुरक्षा और लॉजिस्टिक दृष्टि से अधिक प्रभावी रहेगा।
चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि इस बार राज्य में सुरक्षा बलों की पर्याप्त तैनाती सुनिश्चित की जा रही है ताकि कम चरणों में भी मतदान शांतिपूर्ण ढंग से कराया जा सके। साथ ही, मतदाता सूची, ईवीएम और वीवीपैट की तैयारियां अंतिम चरण में हैं।
पिछले पांच विधानसभा चुनावों पर एक नजर:
- 2020 का चुनाव: तीन चरणों में हुआ था — 28 अक्तूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को मतदान हुआ, जबकि परिणाम 10 नवंबर को घोषित किए गए।
- 2015 का चुनाव: पांच चरणों में आयोजित किया गया था। यह राज्य का अब तक का सबसे विस्तृत चुनाव कार्यक्रमों में से एक था।
- 2010 का चुनाव: छह चरणों में संपन्न हुआ। सुरक्षा कारणों और नक्सल प्रभावित इलाकों को ध्यान में रखते हुए मतदान कई हिस्सों में विभाजित किया गया था।
- 2005 (अक्तूबर-नवंबर) का चुनाव: चार चरणों में हुआ था।
- 2000 का चुनाव: तीन चरणों में मतदान संपन्न कराया गया था।
चुनाव आयोग के अनुसार, इस बार इलेक्ट्रॉनिक और प्रशासनिक संसाधनों की उपलब्धता के कारण चुनाव को दो चरणों में ही पूरा करना संभव हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि इससे खर्च में कमी आएगी और परिणाम घोषित करने की प्रक्रिया भी तेज होगी।
राजनीतिक दलों ने भी इस बार के चुनाव कार्यक्रम पर अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन ने इसे “प्रशासनिक दृष्टि से व्यावहारिक” बताया, जबकि विपक्षी दलों ने कहा कि कम चरणों में मतदान से मतदाताओं तक पहुंचने के लिए रणनीति में बदलाव करना पड़ेगा।





