वॉशिंगटन। अमेरिका के ओरेगन राज्य के पोर्टलैंड शहर में चल रहे प्रदर्शन और हिंसक झड़पों के बीच ट्रंप प्रशासन को एक बड़ा कानूनी झटका लगा है। संघीय अदालत ने शहर में संघीय सैनिकों की तैनाती पर अस्थायी रोक लगा दी है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि “स्थानीय प्रशासन की अनुमति के बिना संघीय बलों की मौजूदगी संविधान के संघीय ढांचे के खिलाफ है।”
यह फैसला उस याचिका पर आया है जिसे ओरेगन राज्य की अटॉर्नी जनरल ने दाखिल किया था। याचिका में आरोप लगाया गया था कि ट्रंप प्रशासन ने बिना राज्य की सहमति के संघीय एजेंटों को शहर में भेजा, जिन्होंने कई प्रदर्शनकारियों को बिना पहचान बताए हिरासत में लिया और “अनुचित बल का प्रयोग” किया। अदालत ने इसे नागरिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया।
न्यायाधीश माइकल साइमोन ने आदेश देते हुए कहा कि “संविधान के तहत कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्यों की प्राथमिक जिम्मेदारी है। संघीय सरकार तब तक हस्तक्षेप नहीं कर सकती जब तक राज्य प्रशासन उससे सहायता की मांग न करे।” उन्होंने चेतावनी दी कि यदि आदेश का उल्लंघन हुआ तो केंद्र सरकार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
ट्रंप प्रशासन ने पोर्टलैंड में संघीय बलों की तैनाती का बचाव करते हुए कहा था कि यह कदम “राष्ट्रीय संपत्तियों और संघीय इमारतों की सुरक्षा” के लिए उठाया गया था। लेकिन अदालत ने माना कि इस कार्रवाई से स्थानीय कानून व्यवस्था और अधिक अस्थिर हुई है।
अदालत के इस निर्णय को विपक्षी डेमोक्रेटिक नेताओं ने “लोकतंत्र और संघीय ढांचे की जीत” बताया है। वहीं, ट्रंप समर्थकों का कहना है कि यह फैसला “राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता” है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला ट्रंप की कानून व्यवस्था से जुड़ी नीतियों के लिए एक बड़ा झटका है और चुनावी साल में इसका राजनीतिक असर भी देखने को मिल सकता है।





