पाकिस्तान का एक बार फिर दोहरा चरित्र सामने आया है। दरअसल एक तरफ पाकिस्तान आतंक की पनाहगाह बना हुआ है तो दूसरी तरफ अपने खिलाफ उठने वाली हर आवाज को वह आतंकवाद का नाम देकर चुप कराने की कोशिश कर रहा है। बता दें कि हाल ही में पाकिस्तानी सेना ने तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान के एक कमांडर को ढेर किया था। खबर है कि उस कमांडर की नमाज ए जनाजा पढ़ाने से पाकिस्तान के मौलवियों ने इनकार कर दिया। टीटीपी कमांडर मिन्हाज की बीते हफ्ते पाकिस्तानी सेना के साथ उत्तरी वजीरिस्तान इलाके में हुई मुठभेड़ में मौत हो गई थी। शनिवार को दक्षिणी वजीरिस्तान में उसके शव को दफनाया गया तो इलाके के सभी मौलवियों ने उसकी नमाज ए जनाजा पढ़ाने से इनकार कर दिया। मौलवियों का कहना है कि टीटीपी कमांडर निर्दोष लोगों की मौत का जिम्मेदार था और उसने पाकिस्तान सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी। इसके विरोध में ही मौलवियों ने नमाज नहीं पढ़ी। इसके बाद 10-20 लोगों ने बिना मौलवी के ही मिन्हाज के शव को दफनाया। गौरतलब है कि पाकिस्तान का वजीरिस्तान इलाका अशांत माना जाता है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान की सेना और प्रशासन ने ही स्थानीय मौलवियों पर दबाव बनाया है ताकि लोगों को उग्रवाद की राह पर जाने से रोका जा सके। जहां एक तरफ पाकिस्तान खुद के देश में शांति के लिए हरसंभव हथकंडा अपना रहा है, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान खुद आतंक की पनाहगाह बना हुआ है और भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहा है।