वॉशिंगटन। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने एक बड़ा मील का पत्थर हासिल करते हुए अपने सुपरसोनिक विमान प्रोटोटाइप का सफल परीक्षण किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह उपलब्धि आने वाले वर्षों में व्यावसायिक विमानन उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।
नासा की ओर से जारी जानकारी के अनुसार, इस परीक्षण का उद्देश्य ऐसी नई तकनीक विकसित करना है जिससे विमान ध्वनि की गति से तेज उड़ान भरने में सक्षम हो, लेकिन पारंपरिक सुपरसोनिक विमानों की तरह तेज ‘सोनिक बूम’ (ध्वनि धमाका) पैदा न करे। परीक्षण के दौरान विमान ने उच्च गति पर उड़ान भरी और इंजीनियरों ने उसकी वायुगतिकीय स्थिरता, इंजन प्रदर्शन और ध्वनि स्तर का गहन अध्ययन किया।
नासा के अधिकारी ने बताया कि इस परीक्षण से यह साबित हो गया है कि भविष्य में विकसित होने वाले सुपरसोनिक यात्री विमान न केवल तेज होंगे बल्कि शोर और पर्यावरण प्रदूषण को भी न्यूनतम स्तर पर रखेंगे। इससे लंबी दूरी की यात्राएं आधे समय में पूरी हो सकेंगी। उदाहरण के तौर पर, न्यूयॉर्क से लंदन की उड़ान जो फिलहाल करीब 7 घंटे लेती है, वह भविष्य में मात्र 3 से 3.5 घंटे में पूरी हो सकेगी।
नासा के “Quesst मिशन” के तहत किए गए इस परीक्षण का लक्ष्य वाणिज्यिक विमानन क्षेत्र में सुपरसोनिक यात्रा को दोबारा सुरक्षित, किफायती और पर्यावरण अनुकूल बनाना है। यह कार्यक्रम बोइंग और लॉकहीड मार्टिन जैसी प्रमुख कंपनियों के साथ साझेदारी में चलाया जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि नासा की यह सफलता भविष्य में ‘साइलेंट सुपरसोनिक ट्रैवल’ के युग की शुरुआत करेगी, जिससे तेज़ गति वाली हवाई यात्रा आम यात्रियों के लिए भी सुलभ हो सकेगी।
नासा के प्रशासक ने इस मौके पर कहा, “हम विमानन के भविष्य को फिर से परिभाषित करने की दिशा में अग्रसर हैं। यह परीक्षण साबित करता है कि मानवता अब ऐसी तकनीक के और करीब पहुंच गई है जो गति और स्थिरता दोनों को संतुलित करेगी।”
इस परीक्षण को लेकर विमानन जगत में उत्साह है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दशक में इस तकनीक पर आधारित पहली व्यावसायिक सुपरसोनिक उड़ानें शुरू हो सकती हैं, जिससे वैश्विक हवाई यात्रा का चेहरा पूरी तरह बदल जाएगा।
नासा ने किया सुपरसोनिक विमान का सफल परीक्षण, वाणिज्यिक हवाई यात्रा में आएगा नया युग





