प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेक इन इंडिया नीति का पूरी दुनिया में डंका बजने लगा है। तेजस फाइटर के बाद अब वंदे भारत ट्रेन पर दुनियाभर के देशों की नजर है। देश में वंदे भारत एक्सप्रेस तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं और कई रूट्स पर इसे चलाने की मांग बढ़ रही है। इस बीच, चिली, कनाडा और मलयेशिया जैसे देशों ने वंदे भारत को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। सूत्रों के मुताबिक, वंदे भारत को खरीदने में दिखाई गई दिलचस्पी के कई कारण हो सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, इसमें सबसे बड़ा कारण वंदे भारत ट्रेन की लागत है, जहां अन्य देशों में निर्मित समान सुविधाओं वाली ट्रेनों की लागत 160-180 करोड़ रुपये के बीच होती है, वहीं भारत वंदे भारत का निर्माण बहुत कम कीमत पर हुआ है। भारत की वंदे भारत ट्रेन की कीमत 120 से 130 करोड़ रुपये है। इसके अलावा, वंदे भारत गति पकड़ने के मामले में भी दूसरे देशों को मात दे रही है। सूत्रों की माने तो वंदे भारत को 0 से 100 किमी प्रति घंटे तक पहुंचने में सिर्फ 52 सेकंड लगते हैं, जो जापान की बुलेट ट्रेन से भी अधिक है। बता दें, जापान की बुलेट ट्रेन को 0-100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ने में 54 सेकंड का समय लगता है।
इनका यह भी कहना है कि वंदे भारत को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बेहतर डिजाइन किया गया है। इसमें विमान की तुलना में सौ गुना कम शोर का अनुभव होता है और इसकी ऊर्जा खपत बहुत कम होती है। वहीं भारतीय रेलवे भी तेजी से अपने ट्रैक नेटवर्क का विस्तार करने और पर्याप्त संख्या में ट्रेनों को बढ़ाने पर विचार कर रहा है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को कहा कि पिछले 10 सालों में 31000 किलोमीटर से अधिक ट्रैक जोड़े गए हैं। इसे बढ़ाने का लक्ष्य 40000 किलोमीटर तक का है। उन्होंने कहा कि बुलेट ट्रेन का काम पटरी पर है और बहुत तेज गति से आगे बढ़ रहा है। वहीं सुरक्षा चिंताओं के बीच, रेलवे देश भर में अपनी स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ स्थापित करने पर विशेष ध्यान दे रहा। यह लगभग 40000 किलोमीटर नेटवर्क को कवर करेगा और 10000 लोकोमोटिव में स्थापित किया जाएगा। कवच प्रभावी और कम लागत वाली सुरक्षा प्रणाली है और सेफ्टी इंटीग्रिटी लेवल 4 (एसआईएल-4) प्रमाणित है।
उन्होंने पत्रकारों से कहा कि कवच लगाने के बाद दुर्घटनाओं में 80 फीसदी तक कमी आ सकती है। मंत्री ने कहा कि 10,000 लोको और 9,600 किलोमीटर ट्रैक की निविदा जारी हो चुकी है। मथुरा-पलवल और मथुरा-नागदा में 632 किलोमीटर में कवच लगाया जा चुका है। कोटा-सवाई माधोपुर में भी 108 किलोमीटर में कवच लगाया जा चुका है।