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दिल्ली में ग्रीन पटाखों की अनुमति, स्वास्थ्य और राजनीति के बीच बना संतुलन

नई दिल्ली। राजधानी में इस साल दीवाली के अवसर पर ग्रीन पटाखों के उपयोग की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है। हालांकि इस फैसले के पीछे स्वास्थ्य, पर्यावरण और राजनीतिक दृष्टिकोणों का संतुलन बनाने की चुनौती साफ दिखाई देती है।
दिल्ली सरकार ने पर्यावरण और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सिर्फ ग्रीन पटाखों की बिक्री और उपयोग की अनुमति दी है। ग्रीन पटाखे कम धुआं और कम प्रदूषण फैलाने वाले माने जाते हैं, जिससे वायु गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव कम होगा। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि वायु प्रदूषण और पटाखों के धुएं से विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन रोगियों पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
लेकिन, इस फैसले के पीछे राजनीतिक दृष्टिकोण भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि त्योहारों के दौरान उत्सव और परंपरा को बनाए रखने के लिए सरकार ने ग्रीन पटाखों की अनुमति दी, ताकि जनता की सांस्कृतिक भावनाओं और धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान हो। इस कदम को कई राजनीतिक विश्लेषक “स्वास्थ्य के लिहाज से नरम, जनता के उत्साह के लिहाज से ठोस” निर्णय के रूप में देख रहे हैं।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) और अन्य पर्यावरण संगठनों ने कहा कि ग्रीन पटाखों की अनुमति से प्रदूषण को सीमित किया जा सकेगा, लेकिन इसका असर पूरी तरह नकारात्मक नहीं होगा। उन्होंने लोगों से अपील की है कि सुरक्षित दूरी, मास्क और पर्यावरण मित्र पटाखों का प्रयोग करें।
इस बीच, कुछ स्वास्थ्य और पर्यावरण कार्यकर्ता चेतावनी दे रहे हैं कि इस फैसले से राजनीतिक दबाव का संकेत मिलता है। उनका कहना है कि स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए पूर्ण प्रतिबंध रखना आवश्यक था, लेकिन राजनीतिक और सामाजिक दबाव के कारण सरकार ने आंशिक ढील दी।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह निर्णय संतुलन बनाने का प्रयास है—जहां जनता को त्योहारों का आनंद मिलता है, वहीं स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण को भी नजरअंदाज नहीं किया गया। इस फैसले के बाद, दिल्ली में व्यापारियों और पटाखा निर्माताओं ने राहत की सांस ली है क्योंकि त्योहारों के दौरान उनकी बिक्री और रोजगार पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा।
इस तरह, दिल्ली में इस साल की दीवाली पर ग्रीन पटाखों की अनुमति सांस्कृतिक उत्सव और पर्यावरण सुरक्षा के बीच की कड़ी साबित हो रही है।

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