नई दिल्ली। देश में दवाओं, सौंदर्य प्रसाधनों और चिकित्सीय उत्पादों की गुणवत्ता पर नियंत्रण और निगरानी को लेकर केंद्र सरकार अब बड़ा कदम उठाने जा रही है। मोदी सरकार ने इसके लिए नए सख्त कानून का मसौदा तैयार कर लिया है, जिसके तहत दवा और कॉस्मेटिक उद्योग पर निगरानी तंत्र को और सशक्त बनाया जाएगा। इस कानून का उद्देश्य नकली, घटिया और अवैध रूप से बिकने वाले उत्पादों पर रोक लगाना है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, यह मसौदा मौजूदा “ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940” को बदलकर एक आधुनिक और व्यापक कानून के रूप में लाने की तैयारी है। इसमें दवाओं, बायोलॉजिकल उत्पादों, चिकित्सा उपकरणों और कॉस्मेटिक वस्तुओं की निर्माण प्रक्रिया, भंडारण, बिक्री और वितरण से जुड़ी सभी गतिविधियों के लिए कड़े प्रावधान शामिल किए गए हैं।
नए कानून के तहत, नकली या घटिया दवाएं बनाने और बेचने वालों पर सख्त दंड का प्रावधान होगा। दोषी पाए जाने पर कड़ी जेल सजा और भारी जुर्माना लगाया जा सकेगा। इसके अलावा, लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया को भी और सरल और त्वरित बनाया जाएगा ताकि ऐसे मामलों में तत्काल कार्रवाई की जा सके।
सरकार ने मसौदे में यह भी प्रावधान किया है कि सभी दवा और कॉस्मेटिक निर्माण इकाइयों को डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम से जोड़ा जाएगा, जिससे उत्पाद की निगरानी निर्माण से लेकर उपभोक्ता तक संभव होगी। इससे आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता बढ़ेगी और नकली उत्पादों की पहचान करना आसान होगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) और राज्यों के दवा नियंत्रण विभागों के बीच समन्वय को और मजबूत किया जाएगा। निगरानी के लिए प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाई जाएगी और परीक्षण की क्षमता को आधुनिक तकनीक से अपग्रेड किया जाएगा।
केंद्र सरकार का मानना है कि भारत का फार्मा और कॉस्मेटिक सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ गुणवत्ता मानकों और सुरक्षा की चुनौती भी बढ़ी है। नए कानून के लागू होने से उद्योग में पारदर्शिता आएगी और उपभोक्ताओं का भरोसा मजबूत होगा।
अधिकारियों ने बताया कि मसौदे को जल्द ही सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया जाएगा ताकि हितधारक — उद्योग, विशेषज्ञ और आम नागरिक — अपनी राय दे सकें। अंतिम रूप देने के बाद इसे संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा।


