देहरादून/रायपुर। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के एक वरिष्ठ अधिकारी कर्नल कमलेश सिंह बिष्ट ने अपने कॉल डेटा रिकॉर्ड (सीडीआर) लीक होने को लेकर सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। कर्नल ने दावा किया है कि उनके निजी मोबाइल की सीडीआर अवैध तरीके से निकाली गई और इस जानकारी का इस्तेमाल उनके खिलाफ जासूसी तथा हत्या की साजिश रचने में किया गया। उन्होंने इस षड्यंत्र के पीछे अपने पूर्व सहयोगी सूबेदार अजनीश का हाथ बताया है।
कर्नल बिष्ट ने कहा है कि उनकी सीडीआर अवांछनीय लोगों के हाथ लगना न केवल व्यक्तिगत गोपनीयता का उल्लंघन है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा है। इस मामले में रायपुर पुलिस ने अब मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
नौ महीने तक ठंडी पड़ी रही शिकायत
कर्नल बिष्ट ने यह शिकायत पहली बार 9 जनवरी 2025 को साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में और दूसरी बार 7 फरवरी 2025 को रायपुर थाने में दी थी। लेकिन आरोप है कि लगभग नौ महीनों तक पुलिस और एसटीएफ के बीच फाइल घूमती रही और जांच शुरू नहीं की गई। अंततः एसटीएफ ने “जीरो एफआईआर” दर्ज कर प्रकरण रायपुर पुलिस को सौंपा।
रायपुर थानाध्यक्ष गिरीश नेगी ने बताया कि “मुकदमा दर्ज कर लिया गया है, और मामले की जांच की जा रही है।”
अज्ञात महिला के फोन से खुला मामला
कर्नल बिष्ट के मुताबिक, दिसंबर 2024 में एक अज्ञात महिला ने उन्हें फोन कर बताया कि उनके पूर्व कार्यालय (ईएमयू, डीआरडीओ) में कार्यरत सूबेदार अजनीश ने उनके कॉल रिकॉर्ड अवैध तरीके से निकलवाए हैं और उनके खिलाफ साजिश रच रहे हैं।
कुछ समय बाद, चार फरवरी 2025 को डीआरडीओ के सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट कुलवंत सिंह का एक पत्र सामने आया, जिसे सेनाध्यक्ष को संबोधित किया गया था और उसकी प्रति कर्नल बिष्ट को भी भेजी गई। इस पत्र में सूबेदार अजनीश पर गंभीर आरोप लगाए गए — जिनमें जासूसी करवाने, हत्या की सुपारी देने और साजिश रचने की बात कही गई थी।
सबूत के रूप में सीडीआर के पन्ने
कुलवंत सिंह के पत्र के साथ फरवरी और मार्च 2023 माह की कर्नल बिष्ट के मोबाइल नंबर की सीडीआर के छह पन्ने संलग्न किए गए थे। कर्नल बिष्ट ने पुष्टि की कि सीडीआर में दर्ज लोकेशन उनकी वास्तविक लोकेशन से मेल खाती है, जिससे दस्तावेज की सत्यता साबित होती है।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर उठे सवाल
कर्नल बिष्ट ने कहा कि डीआरडीओ जैसे संवेदनशील संस्थान में कार्यरत अधिकारी के कॉल रिकॉर्ड का लीक होना केवल व्यक्तिगत साजिश नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर आघात है। “एक वरिष्ठ अधिकारी के निजी डेटा का अवैध रूप से निकलना और अवांछनीय तत्वों तक पहुंचना, देश की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा प्रश्नचिह्न है,” उन्होंने कहा।
एसटीएफ ने रायपुर पुलिस को सौंपी जांच
एसएसपी (एसटीएफ) नवनीत सिंह भुल्लर ने बताया कि, “मामला रायपुर थाने के अधिकार क्षेत्र में आता है। शिकायत हमारे पास आई थी, इसलिए हमने जीरो एफआईआर दर्ज कर पूरी जांच की जिम्मेदारी जिला पुलिस को सौंपी है।”
कर्नल बिष्ट का मामला अब रायपुर पुलिस की विशेष जांच टीम के पास है। अधिकारियों का कहना है कि प्रारंभिक जांच में तकनीकी साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। यदि जासूसी या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी गतिविधियों की पुष्टि होती है, तो मामला केंद्रीय एजेंसियों को सौंपा जा सकता है।





